
चुनाव आयोग ने देशव्यापी ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ शुरू करने का फैसला
चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को आदेश जारी करते हुए विशेष सघन मतदाता सूची संशोधन (SIR) पूरे देश में लागू करने की घोषणा की। इसका उद्देश्य मतदाता सूची में त्रुटियों, डुप्लीकेट प्रविष्टियों और विदेशी नागरिकों को हटाना बताया गया है।
बिहार में 25 जून से शुरू हुई SIR में 1 जुलाई 2025 को किए गए सूची की कट‑ऑफ डेट की आधार पर 8 करोड़ के करीब मतदाताओं को पुन: पंजीकरण करना था, और तब से अब तक लगभग 61 लाख नाम हटाए जा चुके हैं।
शुल्क दस्तावेज़ी प्रक्रिया—जन्मस्थान व अभिभावकों का विवरण सहित—को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार, वोटर ID या राशन कार्ड को भी मान्य दस्तावेज माना जाना चाहिए। विपक्षी दलों ने SIR को ‘मास डिसएन्फ्रैंचाइज़मेंट’ यानी मताधिकार को सीमित करने वाला बताया है, जबकि सीईसी ग्यानेश कुमार ने इसका बचाव करते हुए कहा कि मृत, गैर‑नागरिक और डुप्लिकेट मतदाताओं को सूची में रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
Tripura की Tipra Motha पार्टी सहित कई राज्यों ने बिहार मॉडल को समर्थन दिया और इसे ट्राइपुरा सहित पूरे देश में लागू करने की मांग उठाई है, जिस पर आयोग ने सहमति भी जताई है।
EC ने कहा है कि SIR भारत की संवैधानिक जिम्मेदारी के तहत मतदाता सूची की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक है और इसकी विस्तृत समयसीमा जल्द जारी की जाएगी।