
लद्दाख का शांतिप्रिय इलाका बुधवार को अचानक हिंसा की आग में झुलस गया। राज्यत्व और संवैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन उस समय बेकाबू हो गया, जब प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव हो गया। हालात इतने बिगड़े कि भीड़ ने पथराव किया, पुलिस वाहन और भाजपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।
पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे। इस झड़प में करीब 70 लोग घायल हुए और इलाज के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में स्थानीय प्रदर्शनकारी शामिल बताए जा रहे हैं।
हिंसा के बाद प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। इंटरनेट सेवाएं भी कई जगहों पर अस्थायी रूप से रोक दी गई हैं ताकि अफवाहों पर लगाम लगाई जा सके।
इस पूरे घटनाक्रम के पीछे लद्दाख में लंबे समय से चल रही राज्यत्व और जनसंख्या सुरक्षा की मांग है। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि हिंसा से आंदोलन की मूल भावना कमजोर होगी।
राज्यपाल प्रशासन ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत के लिए अगली तारीख 6 अक्टूबर तय की है। हालांकि, विपक्ष और कई स्थानीय संगठन इस हिंसा की CBI जांच की मांग कर रहे हैं।
लद्दाख में फैली इस हिंसा ने सरकार की चिंताओं को और बढ़ा दिया है, क्योंकि यह इलाका अब तक शांति और भाईचारे का प्रतीक माना जाता था।