
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने आज अपनी पहली सूची जारी कर दी है जिसमें कुल 71 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। इस सूची ने राज्य की राजनीति में हल्की सी हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि इस सूची में कुछ बड़े नामों को टिकट दिया गया है, कुछ नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेरा गया है, और गठबंधन समीकरणों पर भविष्य की रणनीतियों के संकेत भी मिल रहे हैं।
सूची में सबसे चर्चित नाम है सम्राट चौधरी का, जिन्हें तारापुर सीट से भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। सम्राट चौधरी पर राज्य में सैनिक राजनीति दांव पर खेलने की छवि रही है, और उन्होंने पिछले चुनावों में भी सक्रियता दिखाई है। इस बार पार्टी ने उन्हें तारापुर से खड़ा कर, यह संकेत दिया है कि भाजपा उन्हें सत्ता में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मान रही है।
दूसरी ओर, राम कृपाल यादव को दानापुर सीट से टिकट मिला है। राम कृपाल यादव को लेकर यह माना जाता था कि उनका जनाधार मजबूत है, और भाजपा ने उन्हें संभावित जीत की सीट पर उतारने का फैसला किया है। यह भी देखा जाना चाहिए कि दानापुर में स्थानीय समीकरण, जातीय समीकरण और गठबंधन की भूमिका कितनी निर्णायक होगी।
सूची में अन्य प्रमुख नामों में शामिल हैं — रेणु देवी (बेतिया), प्रमोद कुमार सिन्हा (रक्सौल), श्यामबाबू प्रसाद यादव (पिपरा), नीतीश मिश्रा (झंझारपुर) आदि। ये नाम इस बात की ओर संकेत देते हैं कि भाजपा ने विभिन्न क्षेत्रों, सामाजिक समूहों और जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर टिकट वितरण किया है। साथ ही, यह सूची यह भी दर्शाती है कि पार्टी ने केंद्रीय स्तर से नियंत्रित निर्णय प्रक्रिया अपनाई है — खबरों में कहा गया है कि सूची केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद जारी की गई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे।
हालांकि यह सिर्फ पहली सूची है — यानी अभी भी भाजपा आगे और सूची जारी कर सकती है, सम्भव है कि स्थानीय दबाव, क्षेत्रीय नेताओं की दावेदारी, और गठबंधन संबंधों की वजह से और बदलाव हों। इस सूची को बिहार की जनता और विरोधी पार्टियों ने तुरंत विश्लेषण में ले लिया है — इन टिकटों पर किसकी चुनौती कितनी मजबूत होगी, कहां कांग्रेस, राजद, डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट या अन्य राष्ट्रीय/क्षेत्रीय पार्टियां घुसेड़ सकती हैं — ये सब अब रणनीति का हिस्सा बनेंगे।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजर इस बात पर है कि भाजपा ने किन सीटों पर मजबूत दावेदार उतारे हैं और किन सीटों पर टिकट संघर्ष किया है। साथ ही, यह देखा जाना चाहिए कि दूसरे दलों की प्रतिक्रिया कैसी होगी — क्या वे उसी सीट पर विरोधी उम्मीदवार उतारेंगे, गठबंधन बनाएँगे या सीट रणनीति बदलेंगे। इस घोषणा ने बिहार चुनाव की शुरुआत को अधिक तीव्र बना दिया है।