
अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए ताज़ा आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कोई भी आत्मसम्मान वाला राष्ट्र बाहरी दबाव या धमकियों के आगे नहीं झुकता। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों — रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) — सहित कई रूसी बैंकों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका का दावा है कि ये कंपनियां यूक्रेन युद्ध से जुड़ी रूसी गतिविधियों को आर्थिक रूप से मदद कर रही हैं।
पुतिन ने मॉस्को में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “रूस ने हमेशा संवाद को प्राथमिकता दी है। हम यह मानते हैं कि बातचीत युद्ध से कहीं बेहतर रास्ता है। लेकिन अगर कोई देश बार-बार हमारी संप्रभुता पर सवाल उठाएगा, तो हमें अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी ही होगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रूस अपनी नीति और स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं करेगा।
रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका के इन कदमों से वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता पैदा होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि “ऊर्जा की कीमतें अब स्वाभाविक रूप से बढ़ेंगी, और इसका असर खुद अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।” पुतिन ने यह भी दावा किया कि रूस इन प्रतिबंधों के बावजूद अपने ऊर्जा निर्यात और आर्थिक नीतियों को मजबूती से जारी रखेगा।
उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी ज़िक्र किया और कहा कि ट्रंप के समय संवाद की गुंजाइश अधिक थी। पुतिन के मुताबिक, “राजनीतिक मतभेदों के बावजूद ट्रंप प्रशासन में बातचीत के लिए एक खुला रास्ता था, जबकि वर्तमान अमेरिकी नीति टकराव और दबाव पर आधारित है।”
रूसी विदेश मंत्रालय ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “अमेरिकी प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं” और रूस “जल्द ही इसका जवाब देगा।” मंत्रालय ने यह भी इशारा किया कि रूस यूरोप और एशिया के कई देशों के साथ नए ऊर्जा समझौते करने पर विचार कर रहा है ताकि अमेरिकी आर्थिक दबाव को कम किया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस-अमेरिका के बीच यह नया टकराव न सिर्फ ऊर्जा क्षेत्र बल्कि वैश्विक कूटनीति को भी प्रभावित कर सकता है। यदि संवाद बहाल नहीं हुआ तो आने वाले महीनों में तेल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है।



