
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर 2025 को एक नया फरमान किया है जिसके तहत H-1B वीजा आवेदन (application) के लिए प्रति वीजा 1,00,000 डॉलर की सालाना फीस लागू होगी.
यह बदलाव खासकर भारतीय वर्कर्स को प्रभावित करेगा क्योंकि H-1B वीजा प्राप्तकर्ताओं में लगभग 71 प्रतिशत लोग भारत से हैं, जबकि बाकी में चीन का हिस्सा लगभग 11.7 प्रतिशत है.
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने इस पॉलिसी का मकसद अमेरिका में शिक्षा ग्रहण करने वाले ग्रेजुएट्स को प्राथमिकता देना बताया है. उनका कहना है कि नई नीति से “अगर आप किसी को प्रशिक्षित करने जा रहे हैं, तो हमारे किसी महान विश्वविद्यालय से हाल ही में ग्रेजुएट हुए व्यक्ति को प्रशिक्षित करें.”
इस फैसले से टेक्नोलॉजी कंपनियों में उथल-पुथल मची है क्योंकि इन कंपनियों ने लंबे समय से H-1B वीजा पर निर्भरता बढ़ा रखी है. इस फैसले से बड़ी-बड़ी कंपनियों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा और भारतीय कामगारों के लिए वीजा लेना और महँगा हो जाएगा.
अमेरिका हर साल लगभग 85,000 H-1B वीजा जारी करता है, जो लॉटरी सिस्टम के ज़रिए बाँटे जाते हैं