
वित्त मंत्रालय ने बजट-2026-27 की तैयारी की प्रक्रियाएँ 9 अक्टूबर से शुरू करने की अधिसूचना जारी की
नई दिल्ली, 2 सितंबर 2025: वित्त मंत्रालय ने आगामी वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए बजट निर्माण प्रक्रिया का औपचारिक आरंभ 9 अक्टूबर 2025 से करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में विभाग ने बजट सर्कुलर जारी कर दी है, जिसमें प्री-बजट बैठकें और आगे की कार्रवाई का व्यापक ढांचा तैयार किया गया है।
बैठकें और उनका उद्देश्य
वित्त मंत्रालय की यह योजना 9 अक्टूबर से मध्य नवंबर तक चलने वाली प्री-बजट बैठकों पर आधारित है। इन बैठकों का उद्देश्य मंत्रालयों एवं विभागों के व्यय और प्राप्तियों का गहराई से विश्लेषण करना है। इसमें शामिल होंगे:
प्रत्येक मंत्रालय का व्यय-रसीद का प्रस्ताव
गैर-कर (non-tax) राजस्व, जैसे उपयोग शुल्क (user charges)
विभागीय वाणिज्यिक उद्यमों से प्राप्तियाँ, जिन्हें सकल व्यय से घटाकर शुद्ध व्यय (net expenditure) में शामिल किया जाता है
इसके साथ ही, खर्च निगमित निकायों और उन एजेंसियों के लिए निधि जारी करने की आवश्यकता पर भी बहस होगी, जिनके लिए विशेष कॉर्पस फंड बनाए गए हैं। विभिन्न मंत्रालयों को यह स्पष्ट करना होगा कि ये संस्थाएँ क्यों जारी रहनी चाहिए, और उन्हें ग्राम-इन-एड (grant-in-aid) किस आधार पर मिल रहा है।
अंततः, इन बैठकों के आधार पर वित्त मंत्रालय शुरुएँ खर्च सीमाएँ (expenditure ceilings) तय करेगा, जो बजट निर्माण प्रक्रिया का केन्द्रबिंदु रहने वाली हैं। ये सीमाएँ दिसंबर अंत या जनवरी की शुरुआत तक Union Budget Information System (UBIS) में दर्ज कर दी जाएँगी।
आर्थिक उद्देश्य और पृष्ठभूमि
इस बजट प्रक्रिया का आरंभ विश्व स्तर पर बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितता और अमेरिका द्वारा लागू 50% तक की भारी टैरिफ के मद्देनज़र हो रहा है जो भारत के निर्यात को प्रभावित कर रही है। इस स्थिति में नए बजट के लिए विशेष रणनीतियाँ तैयार करना आवश्यक है।
बजट 2026-27 के तहत सरकार की नजरें विशेष रूप से नीचे दिए गए तीन प्रमुख क्षेत्रों पर होंगी:
GDP वृद्धि को बनाए रखना और बढ़ाना
घरेलू मांग (domestic demand) को पुनरुत्थान करना
रोजगार निर्माण (employment generation) को बढ़ावा देना
इन क्षेत्रों को अब के समय में आर्थिक स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।