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नेपाल में सुशीला कार्की बनीं अंतरिम प्रधानमंत्री, Gen-Z आंदोलन से बदला सत्ता संतुलन

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नेपाल में पिछले चार दिनों से चल रहे Gen-Z आंदोलन ने बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है। सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए इस जनविद्रोह के बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। इसके साथ ही वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं।

शुक्रवार रात 9:30 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में कार्की ने शपथ ग्रहण की। इस दौरान राष्ट्रपति पौडेल ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “देश बचाइए, सफल रहिए।” हालांकि शपथ ग्रहण समारोह में संसद के दोनों सदनों के प्रमुख अनुपस्थित रहे।

आंदोलनकारियों की पहली पसंद काठमांडू के मेयर बालेन शाह थे, लेकिन उन्होंने सरकार का दायित्व लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद शाह ने खुद सुशीला कार्की का नाम आगे बढ़ाया और आंदोलनकारियों ने इसे स्वीकार कर लिया।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश कार्की की छवि एक ईमानदार और भ्रष्टाचार विरोधी नेता की रही है। इसी कारण आंदोलनकारी युवाओं और आम जनता का भरोसा उन पर दिखा।

आंदोलनकारियों की शर्तें

सुशीला कार्की ने पद संभालते ही आंदोलनकारियों की पाँच प्रमुख मांगों को स्वीकार कर लिया है:

  1. 6 से 12 महीने के भीतर आम चुनाव कराना।

  2. संसद को भंग कर नई राजनीतिक व्यवस्था की नींव रखना।

  3. नागरिक और सैन्य प्रतिनिधियों वाली अंतरिम सरकार बनाना।

  4. भ्रष्ट नेताओं और राजनीतिक दलों की संपत्ति की जांच के लिए शक्तिशाली न्यायिक आयोग गठित करना।

  5. आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और हताहतों की निष्पक्ष जांच कराना।

हालात और चुनौतियां

आंदोलन के दौरान देशभर में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं। अब तक 51 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सरकारी और निजी संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में नई सरकार के सामने शांति बहाल करने और चुनाव की तैयारी सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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