
हनी-ट्रैप का जाल: बुज़ुर्ग को खूबसूरत मास्टरमाइंड ने फँसाया
एक ऐसी घटना सामने आई है जो साइबर क्राइम की बढ़ती प्रवृत्ति और बुज़ुर्ग लोगों की कमजोरियों का ब्यान करती है। एक बुज़ुर्ग व्यक्ति (उम्र लगभग 60-70 वर्ष या उससे अधिक) इंटरनेट या सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर एक महिला से जुड़ता है, जो बाद में हनी-ट्रैप गैंग की मुखिया या मास्टरमाइंड पाई जाती है। शुरुआत में महिला आनलाइन बातचीत में मित्रता या रोमांटिक झलक दिखाती है, भरोसे की स्थिति बनाती है, भावनाएं जोड़ती है, और व्यक्ति की ज़िंदगी की परिस्थितियों, स्वास्थ्य, पारिवारिक विवशताओं आदि को साझा कर उसे मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित करती है।
कुछ समय बाद, महिला कुछ आर्थिक ज़रूरतों या निवेश के सुनहरे अवसरों की कहानियाँ सुनाती है — कहती है कि कुछ ब्रोकरेज, शेयर मार्केट, क्रिप्टो ट्रेडिंग या फर्जी वित्तीय प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ पैसा बढ़ जाएगा। बुज़ुर्ग व्यक्ति शुरुआत में थोड़ा-बहुत संदेह करता है, पर महिला की बातों की मिठास, भरोसेमंद प्रोफ़ाइल, समय-समय पर छोटे-छोटे लाभ दिखाने की झलक और लगातार बातचीत से वह पूरी तरह यकीन कर बैठता है। महिला एक लिंक भेजती है जहाँ खाता बनाया जाता है, कुछ निवेश किए जाते हैं, और कुछ समय बाद खाते में “प्रॉफिट” दिखने लगती है — यह सब धोखाधड़ी की रणनीति होती है।
जब निवेश राशि बढ़ाने की बात होती है या “टैक्स”, “क्लियरेंस चार्ज”, “प्रोसेसिंग फीस” आदि नामों पर और पैसे की मांग की जाती है, तभी व्यक्ति को एहसास होता है कि कुछ गड़बड़ है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है — व्यक्ति ने लाखों रुपये भेज दिए होते हैं, कुछ दूसरों के खाते में या क्रिप्टो वॉलेट्स में, जो ट्रेस करना मुश्किल होता है।
पीड़ित अक्सर आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित होते हैं — जमा-पूँजी ख़त्म हो जाती है, कभी-कभी कर्ज लेना पड़ता है, परिवार के सदस्यों को भी इस परिस्थिति से असमंजस या मानसिक तनाव होता है। पुलिस या साइबर क्राइम विभाग में शिकायत दर्ज होती है। जांच में पता चलता है कि कई फर्जी प्रोफ़ाइल्स, नकली दस्तावेज़ या दिखावटी नौकरियाँ/पता-पता प्रतिष्ठा आदि ये लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। आरोपियों तक पहुँच मुश्किल होती है क्योंकि वे वर्चुअल माध्यमों से काम करते हैं, कभी विदेशों में हो सकते हैं, मोबाइल सिम कार्ड व बैंक अकाउंट आदि छुपे-छुपे होते हैं।



