
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा भाषण दिया, जिसमें वे भावुकता और हिडन पॉलिसी संदेशों को एक साथ पिरोकर सामने आए। उन्होंने कहा, “मैं जुबां पर ताला लगाकर बैठा था,” — एक ऐसी पंक्ति जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे उन पीड़ाओं और अनुभवों को जनता के सामने अभी तक नहीं खोल पाए थे। उन्होंने विशेष रूप से माओवादी आतंकवाद के शिकार परिवारों की बातें उजागर कीं और कहा कि अब वक्त आ गया है जब दर्द को दबाया नहीं जा सकता।
पीएम मोदी ने बताया कि 2014 से पहले भारत के 125 से अधिक जिले माओवादी समस्या से प्रभावित थे, लेकिन अब यह संख्या मात्र 11 जिलों तक सीमित हो गई है। उन्होंने कांग्रेस शासनकाल पर आरोप लगाया कि उस समय अर्बन नक्सल और माओवादी नेटवर्क को सक्रिय रखने की व्यवस्था थी, और उन्हें छुपाने की व्यवस्था की गई थी। उनकी यह टिप्पणी स्पष्ट संकेत थी कि उनका मानना है कि आज देश ने आतंकवाद से मुकाबले की दिशा में निर्णायक परिवर्तन किया है।
उन्हें डिजिटल भारत की उपलब्धियों पर भी गर्व था। मोदी ने बताया कि एक समय भारत में 1 GB डेटा के लिए ₹300 चुकाना पड़ता था, लेकिन आज वही डेटा ₹10 की कीमत में मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि आज भारत में 50% वित्तीय लेन-देन डिजिटल माध्यमों से हो रही है, और भारत का UPI सिस्टम वैश्विक डिजिटल भुगतान व्यवस्था पर दबदबा बनाए हुए है।
आर्थिक विषयों पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि भारत का औसत विकास दर 7.8% रहा है, और निर्यात तथा कृषि निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि हुई है। वाणिज्य एवं निवेश को लेकर उन्होंने यह कहा कि दुनिया आज भारत को एक भरोसेमंद व्यापार और सप्लाई चेन केंद्र के रूप में देख रही है।
रक्षा और सुरक्षा नीतियों को लेकर मोदी ने तीखी भाषा अपनाई। उन्होंने कहा कि भारत अब चुप नहीं बैठता है — “सर्जिकल स्ट्राइक, ऑपरेशन सिंदूर” जैसी कार्रवाइयां अब सार्वजनिक तौर पर दस्तावेज़ और नीति का हिस्सा हैं। “भारत मुंहतोड़ जवाब देता है,” उन्होंने कहा, और यह रेखांकित किया कि देश अब किसी भी चुनौती को स्वीकारने या झेलने ही की स्थिति में नहीं है।
भाषण के बीच उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष भी किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय सरकारी कंपनियों पर ताले लगाए जाते थे, और उन्होंने यह आरोप लगाया कि कांग्रेस ने गरीबी हटाने की बात तो की, लेकिन वास्तविक बदलाव नहीं किया। मोदी ने कहा कि अब पॉलिसी के मूल में लोकतांत्रिकरण और जनता की भागीदारी है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब “फ्रैजाइल फाइव” देशों की श्रेणी से निकलकर विश्व के शीर्ष पाँच देशों में शामिल हो चुका है। मोदी ने अपने दृढ़ विश्वास का परिचय देते हुए कहा, “हम न रुकेंगे और न थमेंगे।”
अंत में, पीएम मोदी ने श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या का स्वागत करते हुए कहा कि भारत-श्रीलंका सहयोग शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, नवाचार और मत्स्य पालन जैसे मुद्दों पर और गहरा हो रहा है। उनके अनुसार, दो पड़ोसी देशों के बीच यह सहयोग क्षेत्रीय समृद्धि के लिए अनिवार्य है।



