
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भाजपा पर एक गंभीर आरोप लगाया है कि वह कश्मीर में लोगों को बंदूक की ताकत दिखाकर राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने के लिए मजबूर कर रही है। उन्होंने कहा कि जब लोग राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं होते, तो उन्हें हिरासत में लिया जाता है — यह एक तरह की दबाव युक्त कार्रवाई है, न कि किसी स्वैच्छिक सम्मान का प्रदर्शन।
मुफ्ती ने बताया कि यह घटना श्रीनगर के टीआरसी फुटबॉल मैदान में उस समय सामने आई, जब राष्ट्रगान बजने पर कई दर्शक बैठे रहे। पुलिस ने इधर उन लोगों को हिरासत में लिया, जिनके ऊपर आरोप था कि उन्होंने खड़े नहीं हुए। उन्होंने यह कहा कि “मेरे छात्र जीवन में जब राष्ट्रगान बजता था, हम स्वेछा से खड़े हो जाते थे — किसी ने हमें पकड़कर नहीं उठाया था।”
मुफ्ती ने यह भी कहा कि यदि राष्ट्रगान के सम्मान के लिए खड़े न होना सरकार की विफलता है, तो दबाव, डर और जबरदस्ती के आधार पर उन्हें खड़ा करवाना अस्वीकार्य है। उन्होंने इस तरह की कार्रवाई को लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों के लिए खतरनाक बताया।
राजनीतिक विमर्श में इस बयान ने हलचल मचा दी है। समर्थक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि राष्ट्रगान को सम्मान देना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सम्मान जबरदस्ती से नहीं आना चाहिए। आलोचक इस आरोप को एक नयी राजनीतिक कार्यवाही कह रहे हैं — कि इसे सरकार विरोधी नाराजगी बढ़ाने की चाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।