
प्रधानमंत्री मोदी ने जापान यात्रा में दोहरे उद्देश्य वाला संदेश भेजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा ने तकनीकी समृद्धि और रणनीतिक साझेदारी, दोनों को अपने साथ अग्रसर किया है। यह यात्रा भारत–जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को एक नई दिशा में ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत है।
मोदी शनिवार को टोक्यो से सेंदाई के लिए जापान की हाई-स्पीड शिंकानसेन बुलेट ट्रेन की सवारी पर निकलें, जहाँ उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ इस तेज रफ़्तार यात्रा का अनुभव साझा किया। दोनों नेताओं ने ट्रेन के अंदर से तस्वीरें साझा कीं, जिन्होंने दोनों देशों की तकनीकी साझेदारी की गहराई को उजागर किया। इसके बाद, सेंदाई पहुँचकर पीएम मोदी ने जापान में प्रशिक्षण ले रहे भारतीय ट्रेन चालकों से मुलाकात की—यह कदम दोनों देशों के बीच मानव संसाधन सहयोग की ताकत को दर्शाता है।
मोदी ने टोक्यो में जापानी प्रान्तों के 16 राज्यपालों से भी मुलाकात की और राज्य-प्रान्त सहयोग पहल को आगे बढ़ाने की गुहार लगाई। उन्होंने प्रौद्योगिकी, नवाचार, स्टार्टअप, निवेश और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में भारत और जापान के बीच विश्वास पर आधारित साझेदारी की संभावनाओं को उजागर किया।
इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने उच्च स्तरीय समझौते भी किए: निवेश, क्यूएड (QUAD) सहयोग, रक्षा, तकनीक, सेमीकंडक्टर और बुलेट ट्रेन परियोजना जैसे क्षेत्रों में गहन साझेदारी पर सहमति बनी। जापान ने आने वाले दशक के लिए भारत में 10 ट्रिलियन येन (लगभग $68 अरब) के निजी क्षेत्र निवेश का लक्ष्य रखा है और मानवीय सहयोग को बढ़ाने के लिए 500,000 प्रवासी कार्यकर्ता और छात्रों के आदान-प्रदान पर भी समझौता हुआ है।
इस दौरे का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक साझेदारी बढ़ाना नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और हिंद–प्रशांत क्षेत्र में साझा हितों को आगे बढ़ाना भी रहा। QUAD गठबंधन को भी इस साझेदारी के माध्यम से और मज़बूत बनाया गया है।
नीतिगत और तकनीकी साझेदारी के साथ-साथ यह दौरा ‘बुलेट ट्रेन’ की तकनीक ही नहीं, बल्कि ‘दोस्ती और साझेदारी’ की गति को भी प्रदर्शित करता है—प्रेम से सम्मान सहित, जापानी जनता ने ‘Modi-san welcome’ के नारे लगाकर पीएम मोदी का स्वागत किया, जिससे भावनात्मक संबंधों की मजबूती भी झलकती है।



