
पाकिस्तान में फिलहाल स्थिति बेहद नाज़ुक है — जिसे कई विश्लेषक “गृह-युद्ध की दहलीज” बता रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि देश में सैन्य और राजनीतिक संस्थानों के बीच बढ़ते तनाव और सत्ता संघर्ष ने माहौल को भयंकर अस्थिरता की ओर धकेल दिया है। सबसे ताज़ा मोड़ यह है कि लाहौर में वर्तमान पीएम Shehbaz Sharif से मुलाकात करने के लिए पूर्व पीएम Nawaz Sharif आए हैं; इस मुलाकात को इस लिहाज़ से अहम माना जा रहा है क्योंकि आज Pakistan Army के चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स (CDF) बनने वाले Asim Munir का नोटिफिकेशन जारी होने वाला है — और यदि यह नहीं हुआ, तो पाकिस्तान की सैन्य-निगरानी व्यवस्था अस्थिर हो सकती है।
असल में, Asim Munir की CDF नियुक्ति का नोटिफिकेशन 29 नवंबर तक आने की उम्मीद थी — क्योंकि उसी दिन उनकी तीन साल की COAS की अवधि खत्म हो रही थी। लेकिन नोटिफिकेशन जारी करने में देरी से अब वह एक “प्रशासनिक जुर्म” नहीं रह गया, बल्कि एक संवेदनशील राजनीतिक विवाद बन चुका है। कई रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ये देरी जानबूझ कर की गई है ताकि Munir को कानूनी रूप से पहली बार CDF के रूप में स्थापित करना टाला जा सके — और इस दौरान देश की सैन्य और परमाणु कमांड संरचना “खाली” साबित हो सकती है।
इतना ही नहीं — मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि Nawaz Sharif और Shehbaz Sharif दोनों मिलकर Munir की CDF नियुक्ति रोकने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। कुछ सूत्रों का मानना है कि Munir पहले से ही “दोहरे दर्जे” में काम कर रहा है — यानी वो COAS और अस्थायी CDF दोनों का कार्यभार संभाल रहा है — लेकिन बिना औपचारिक नोटिफिकेशन के, उनकी स्थिति संवैधानिक रूप से विवादित है। इस विवाद ने सैन्य-सिविल संस्थानों के बीच पहले से मौजूद असंतुलन को और गहरा कर दिया है।
साथ ही, इस राजनीतिक गतिरोध के बीच तनाव और बढ़ने की अच्छी संभावना है। अगर CDF नियुक्ति स्थगित हुई और Munir को नहीं मिले नए अधिकार, तो सेना और सरकार के बीच शक्ति संघर्ष हिंसक मोड़ ले सकता है — और देश में गृह-युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यह सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि पाकिस्तान के भविष्य और उसके संस्थागत संतुलन के लिए एक “बिंदु परिवर्तन” हो सकता है।



