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शरद पवार की सख्ती और सुप्रिया सुले का समर्थन

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महाराष्ट्र की राजनीति में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) एक बार फिर सुर्खियों में है। पार्टी प्रमुख शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़े कथित जमीन सौदे के मामले में सख्त रुख अपनाया है। वहीं, उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने पार्थ के पक्ष में बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल पार्टी के भीतर मतभेदों को उजागर किया है, बल्कि पवार परिवार की एकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

मामला पुणे के मुंधवा-कोरेगांव पार्क इलाके की लगभग ₹1,800 करोड़ की सरकारी जमीन से जुड़ा है, जिसे पार्थ पवार की एक कंपनी द्वारा सिर्फ ₹300 करोड़ में खरीदे जाने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सौदे में स्टाम्प ड्यूटी में भी लगभग ₹21 करोड़ की छूट दी गई थी। इस आरोप के बाद महाराष्ट्र में विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा है कि अगर यह सौदा संदिग्ध है, तो पार्थ पवार का नाम एफआईआर में क्यों नहीं जोड़ा गया।

शरद पवार ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “मुख्यमंत्री ने इसे गंभीर मामला बताया है, इसलिए जांच पूरी निष्पक्षता से होनी चाहिए और सच्चाई जनता के सामने आनी चाहिए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि कानून सबके लिए समान है और अगर कोई गलती हुई है तो कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए। दूसरी ओर, सुप्रिया सुले ने अपने भतीजे पार्थ पवार का बचाव करते हुए कहा कि “मुझे उस पर भरोसा है, वह ऐसा कुछ गलत नहीं कर सकता।” हालांकि, शरद पवार ने सुप्रिया के इस बयान को “उनकी व्यक्तिगत राय” बताया और खुद को इस रुख से अलग किया।

इस विवाद ने NCP के भीतर दो अलग-अलग धड़े बनने की स्थिति पैदा कर दी है — एक तरफ पारदर्शिता और जांच की मांग करने वाले शरद पवार हैं, तो दूसरी ओर पारिवारिक निष्ठा के तहत पार्थ का समर्थन करने वाली सुप्रिया सुले। अजित पवार ने भी अपनी सफाई देते हुए कहा है कि उनका इस सौदे से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें इसके बारे में केवल मीडिया रिपोर्ट्स के ज़रिए जानकारी मिली।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद केवल एक जमीन सौदे का मामला नहीं है, बल्कि NCP के अंदर शक्ति संतुलन, पारिवारिक संबंधों और नेतृत्व की विश्वसनीयता से जुड़ा मुद्दा बन गया है। शरद पवार ने हाल ही में कहा था, “हम परिवार के रूप में एक हैं, लेकिन वैचारिक रूप से भिन्न हैं।” उनका यह बयान पार्टी में उभरती वैचारिक खाई को और गहराई से उजागर करता है।

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह देखना दिलचस्प होगा कि पवार परिवार इस राजनीतिक संकट से कैसे निपटता है — क्या यह विवाद परिवार और पार्टी के लिए नया अध्याय खोलेगा या फिर NCP की एकजुटता पर स्थायी दाग छोड़ जाएगा।

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