
21 सितम्बर 2025 को पितृपक्ष की अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या का अत्यंत पावन योग बन रहा है। इस दिन वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगेगा, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध, तर्पण और दान पितरों को तृप्त करता है और उनकी कृपा से परिवार पर सुख-समृद्धि, शांति और संतति की रक्षा बनी रहती है। जिन लोगों को अपने पितरों की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं होती, वे इस दिन श्राद्ध करके उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं।
इस पावन दिन के चार शुभ उपाय
पीपल वृक्ष की पूजा और दीपदान
अमावस्या के दिन प्रातःकाल स्नान कर पीपल वृक्ष का पूजन करें। उसकी जड़ों में जल अर्पित करें और दीपक जलाकर परिक्रमा करें। ऐसा करने से पितृदेव प्रसन्न होते हैं और घर में सकारात्मकता व शांति का वास होता है।दान और अन्न वितरण
इस दिन तिल, चावल, गुड़, घी, वस्त्र और अन्न का दान अत्यंत शुभ माना गया है। ब्राह्मणों, गौ, कुत्ते, पक्षियों और जरूरतमंदों को अन्न और जल अर्पित करने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और घर में लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।पंचबलि का आयोजन
पंचबलि यानी पाँच जीवों—गाय, कुत्ता, पक्षी, चींटी और अतिथि—को भोजन कराना श्रेष्ठ माना गया है। इसे करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से घर-परिवार में समृद्धि आती है।खीर का नैवेद्य
दूध और चावल से बनी खीर का नैवेद्य पितरों को अर्पित करना प्राचीन परंपरा है। यह माना जाता है कि इस उपाय से परिवार के बीच प्रेम, मधुरता और सौहार्द बना रहता है।
धार्मिक महत्व
सर्वपितृ अमावस्या का दिन वह अवसर है जब व्यक्ति अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करता है। सूर्य ग्रहण के संयोग में किए गए ये कर्म और उपाय और भी फलदायी माने जाते हैं। धर्मग्रंथों में कहा गया है— “पितृदेवो भव।” अर्थात् पितरों की पूजा और तर्पण से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।