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घने जंगलों में लाल चंदन की अवैध तस्करी

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आंध्र प्रदेश के Srikalahasti Forest Area सहित गहरे जंगलों में तस्करी के लिए सक्रिय बने गिरोहों के खिलाफ राज्य की वन एवं पुलिस टीमों ने एक बड़ी कार्रवाई की है। इस छापेमारी में अवैध रूप से काटी गई कीमती लाल चंदन (रेड सैंडर्स) लकड़ियों की 20 भारी-भरकम मोटी लकड़ियाँ बरामद की गई हैं, साथ ही नौ संदिग्ध तस्करों को पकड़ लिया गया है — जिनमें से दो आरोपी आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले से तथा सात तमिल नाडु के निवासी हैं।

यह मामला इसलिए भी संवेदनशील है क्योंकि लाल चंदन की यह लकड़ी विशेष रूप से दक्षिण भारत के जंगलों में पाई जाती है। इसलिये यह न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि अंतरराज्यीय आदान-प्रदान व अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उच्च मँहगी सामग्री बन चुकी है। इसके कारण वन विभाग एवं तस्करों के बीच लगातार टकराव सामने आता रहा है।

जांच में यह सामने आया है कि तस्कर घने जंगलों के अंदर छुपकर गतिविधियाँ कर रहे थे — जब टास्क फोर्स ने देर रात छापा मारा, तस्करों ने भागने का प्रयास किया। लेकिन सतर्क टीम ने पीछा कर उन्हें पकड़ लिया। यह कार्रवाई वर्ष-2025 के इस महीने में की गई और वन प्रशासन ने इसे एक बड़ा सबूत माना है कि इस अवैध व्यापार पर अब दबाव बढ़ रहा है।

विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की तस्करी सिर्फ जंगल-कानून का उल्लंघन नहीं बल्कि सामाजिक-परिवर्तन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी समस्या बन गई है — जब टिम्बर की कीमतें इतनी मँहगी हों कि गिरोह बुनियादी संसाधनों को नियंत्रित कर लें। इस मामले में सामने आए arrested तस्करों के बीच तमिल नाडु के हिस्से यह संकेत देते हैं कि यह कारोबार अब एक “अंतर-राज्यीय नेटवर्क” के रूप में काम कर रहा है।

फिलहाल, वन विभाग ने जब्त लकड़ियों को सील कर लिया है और तस्करों के खिलाफ वन अधिनियम तथा अन्य अपराध कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है। अब आगे की जाँच यह इंतजार कर रही है कि इन लकड़ियों का स्रोत कहाँ से था, रास्ता क्या लिया गया और आगे कहाँ तक ये लकड़ियाँ भेजी जानी थीं। साथ ही यह भी देखना है कि इस गिरोह का शीर्ष – स्तर कौन है और कहीं इसकी पृष्ठभूमि राजनीतिक-प्रशासनिक संबंधों से तो नहीं जुड़ी है — क्योंकि इस तरह के मामलों में अक्सर बिचौलियों और संरचनाओं की तह छिपी होती है।

इस छापेमारी के परिणामस्वरूप जंगलों में सक्रिय तस्करी-लेकर भेजे जा रहे गिरोहों को एक संदेश मिल गया है कि वन विभाग अब “पुष्पा-स्टाइल” (फ़िल्म जैसा) तस्करी-रूट्स को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह कार्रवाई उम्मीद जगाती है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े ऑपरेशन होंगे, जंगलों की रक्षा व अवैध व्यापार को समाप्त करने के प्रति एक नई लकीर खींची जाएगी।

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