Advertisement
महाराष्ट्रलाइव अपडेट
Trending

नांदेड की दर्दनाक “अमर” प्रेम कहानी

Advertisement
Advertisement

महाराष्ट्र के नांदेड जिले से एक ऐसी दिल दहला देने वाली कहानी सामने आई है, जिसने न केवल प्रेम और जातिगत पूर्वाग्रह के गहरे सभ्य-विरोध का ज्वलंत सामना कराया है, बल्कि समाज के भय-भ्रांति, सम्मान-किलिंग और प्यार की हिम्मत को भी नए सिरे से सवालों में खड़ा कर दिया है। तीन साल से प्रेम-संबंध में रहने वाले सक्षम और आंचल की ये कहानी अब अमर हो गई — जब सक्षम की नृशंस हत्या के बाद आंचल ने उसके शव से शादी रचा ली।

मामला उस घटना का है, जो 27 नवंबर की रात हुई — सक्षम ताटे नामक युवक को, जिसे आंचल पसंद करती थी, आंचल के पिता और भाई ने उसकी जाति भेदभाव के चलते बेरहमी से पीटा, फिर गोली मारकर, और अन्ततः पत्थर से सिर कुचलकर हत्या कर दी। घटना इतनी क्रूर थी कि पुलिस भी घटनास्थल देख दंग रह गई। षड्यंत्र, धमकी और सामाजिक बंदिशों के बीच दो Menschen की मोहब्बत — यह सब कुछ जीवन का हिस्सा बन गया था, लेकिन उनकी चाहत और परिवार की जकड़न ने इस प्यार को मौत तक ले आया।

जब सक्षम की लाश अंतिम संस्कार के लिए लाई गई, तब आंचल वहाँ पहुंची — उसने हल्दी-कुमकुम चढ़ाया, सिंदूर भरा, और देखते ही देखते उसने अपने प्रेमी के शव से सात फेरे लिए। आंचल ने कहा, “मैं विधवा नहीं — सक्षम की दुल्हन हूँ। मौत भी हमें जुदा नहीं कर सकती।” उसने यह भी कहा कि अब वह सक्षम के माता-पिता के साथ रहेगी, उन्हें बेटा बनकर उनकी सेवा करेगी और उन सपनों को पूरा करेगी जो सक्षम ने उसके साथ देखे थे।

इस घटना ने सिर्फ एक प्रेम-कहानी का अंत नहीं दिखाया, बल्कि उस सामाजिक बुराई को उजागर किया जो “जातिगत भेदभाव” के नाम पर इंसान की जान ले लेती है। पुलिस ने हत्या के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया है — जिसमें आंचल के पिता, भाई और कुछ अन्य शामिल हैं। मामले को समाज में चर्चा का विषय बना दिया गया है, क्योंकि यह दिखाता है कि आज भी कितने परिवार “किसी के प्यार” को अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा से ऊपर रखते हैं।

आंचल का फैसला — अपनी जान को दांव पर लगाकर, प्रेमी की लाश से शादी करना — निश्चय ही एक ऐसा क़दम है जो प्रेम, जुदाई, दर्द और सामाजिक न्याय की कहानी में इतिहास में दर्ज हो जाएगा। लेकिन इससे वो सवाल भी फिर सामने आ गए हैं — क्या हमारा समाज अब भी इस तरह की जातिगत श्रद्धाओं, हिंसा और नाम-अपमान को धीरे-धीरे स्वीकार कर रहा है? क्या प्यार की आज़ादी और व्यक्तिगत अधिकार — जिन्हें संविधान देता है — सच में उन तक पहुँच रहे हैं, जिन्हें इसकी ज़रूरत है?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
YouTube
LinkedIn
Share