
भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में स्थित आतंकी ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक (ऑपरेशन सिंदूर) की खबर सामने आते ही देशभर में सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ी और इसका सीधा असर शेयर बाजार पर भी देखा गया। सुबह के शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में हल्की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन कुछ ही समय बाद बाजार ने स्थिरता की ओर रुख किया।
📉 कैसा रहा बाजार का मूड?
- बीएसई सेंसेक्स की शुरुआत हल्की गिरावट के साथ हुई। इंडेक्स करीब 81 अंक टूटकर 80,560 के स्तर पर खुला।
- वहीं एनएसई निफ्टी 50, जो देश के शीर्ष 50 शेयरों का संकेत देता है, 21 अंक टूटकर 24,358 पर खुला।
बाजार की यह गिरावट पूरी तरह से जियोपॉलिटिकल टेंशन और निवेशकों की अनिश्चितता का नतीजा थी। लेकिन जैसे ही यह स्पष्ट हुआ कि भारत की एयर स्ट्राइक एक सीमित और सटीक अभियान (Precision Strike) था, बाजार में फिर से स्थिरता लौटी।
🛡️ रक्षा सेक्टर बना स्टार परफॉर्मर
भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद रक्षा क्षेत्र के स्टॉक्स में बढ़त देखी गई। कंपनियों जैसे HAL, Bharat Dynamics, BEL और MTAR Technologies के शेयरों में तेजी रही।
विश्लेषकों के मुताबिक, यह निवेशकों की उस उम्मीद का संकेत है कि भारत सरकार आने वाले समय में रक्षा उत्पादन और आयात प्रतिस्थापन (import substitution) को और बढ़ावा देगी।
📊 बाजार विशेषज्ञों की राय
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मार्केट एनालिस्ट राजीव श्रीवास्तव का कहना है:
“इस तरह के जियोपॉलिटिकल घटनाक्रम बाजार में अस्थायी उथल-पुथल लाते हैं। अगर ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई सीमित दायरे में रहती है और कोई दीर्घकालिक संघर्ष नहीं होता, तो बाजार जल्दी रिकवर कर जाएगा।”
ICICI Direct ने भी कहा कि इस प्रकार की सर्जिकल स्ट्राइक्स या एयर स्ट्राइक्स का दीर्घकालिक असर तभी होता है जब स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो जाएं, जो कि फिलहाल नहीं दिख रहा।
💼 कौन से सेक्टर रहे दबाव में?
- बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर पर दबाव रहा क्योंकि जियोपॉलिटिकल जोखिमों का सीधा असर रुपये की अस्थिरता और लोन डिफॉल्ट रिस्क पर पड़ सकता है।
- ट्रैवल, हॉस्पिटैलिटी और एविएशन सेक्टर में भी कुछ गिरावट देखी गई क्योंकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और पर्यटन पर असर पड़ सकता है।
🪙 रुपया और अंतरराष्ट्रीय बाजार
भारतीय रुपया शुरुआती कारोबार में 18 पैसे कमजोर होकर 83.49 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।
कच्चे तेल की कीमतों में भी मामूली उछाल देखा गया, क्योंकि तनाव बढ़ने से आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ सकता है।