
भारत, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल कराने की कोशिश कर रहा है। यह पहल जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की जा रही है, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई थी। भारत का आरोप है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हैं।
भारत FATF की एशिया-पैसिफिक ग्रुप को मई के अंत या जून की शुरुआत तक एक आधिकारिक डोज़ियर सौंपेगा, जिसमें पाकिस्तान की ओर से आतंकी फंडिंग रोकने में विफल रहने के सबूत पेश किए जाएंगे।
पाकिस्तान को अक्टूबर 2022 में FATF की ग्रे लिस्ट से हटाया गया था क्योंकि उसने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग के खिलाफ 34-बिंदुओं की कार्ययोजना पर काम किया था। लेकिन भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने इन प्रयासों को लंबे समय तक जारी नहीं रखा और हाल की घटनाएं इसके प्रमाण हैं।
इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा दिए जाने वाले 1 अरब डॉलर के ऋण का भी विरोध किया है, यह कहते हुए कि इस राशि का उपयोग आतंकवाद को समर्थन देने में हो सकता है।
ग्रे लिस्ट में शामिल होने पर पाकिस्तान को क्या होगा नुकसान?
अगर किसी देश को FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाता है तो उसे आर्थिक रूप से कई तरह के नुकसान उठाने पड़ते हैं:
- विदेशी निवेश में भारी कमी आती है,
- सरकार का राजस्व घटता है,
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन कठिन हो जाता है,
- राजनीतिक स्तर पर देश की छवि को नुकसान पहुंचता है,
- वैश्विक साख पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
इन सब कारणों से पाकिस्तान के लिए FATF की ग्रे लिस्ट में दोबारा शामिल होना एक गंभीर झटका होगा।