नई दिल्ली। संसद में एक ऐतिहासिक और गर्व से भरे क्षण में, बांसुरी स्वराज ने संस्कृत में शपथ लेकर सबका दिल जीत लिया। यह अवसर नई दिल्ली में संसद भवन में हुआ, जहाँ बांसुरी ने सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए शपथ ली।
बांसुरी स्वराज, दिवंगत सुषमा स्वराज की पुत्री, जिन्होंने अपने राजनीति जीवन में अपनी मां की तरह ही गहरी छाप छोड़ने का संकल्प लिया है, ने संस्कृत भाषा में शपथ लेकर भारतीय संस्कृति और परंपरा को सम्मानित किया। संस्कृत में शपथ लेना भारतीय संस्कृति और समृद्ध विरासत को जीवंत करने का प्रतीक माना जाता है, और इस कदम से बांसुरी ने अपने प्रति लोगों के मन में अपार सम्मान और विश्वास पैदा किया।
शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित दर्शकों ने बांसुरी स्वराज के इस कदम की भूरी-भूरी प्रशंसा की। अनेक नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने इसे भारतीय संस्कृति को संजोने और आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया। बांसुरी ने संस्कृत में शपथ लेते हुए अपने भाषण में कहा, “संस्कृत हमारी प्राचीन धरोहर है और इसे जीवित रखना हमारा कर्तव्य है। मैं अपने कार्यों के माध्यम से इसे आगे बढ़ाने का प्रयास करूंगी।”
इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने बांसुरी स्वराज को शुभकामनाएँ दीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “बांसुरी ने संस्कृत में शपथ लेकर यह साबित कर दिया है कि वह न केवल अपनी मां के आदर्शों पर चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रति भी उनका गहरा सम्मान है।”
गृहमंत्री ने कहा, “यह वास्तव में गर्व का क्षण है कि हमारे युवा नेता अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और उन्हें गर्व से प्रस्तुत कर रहे हैं। बांसुरी का यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।”
बांसुरी स्वराज के इस अद्वितीय कदम ने न केवल संसद भवन में उपस्थित लोगों का दिल जीता, बल्कि पूरे देश में एक सकारात्मक संदेश भी प्रसारित किया। सोशल मीडिया पर भी इस घटना की चर्चा जोरों पर रही, जहाँ लोगों ने बांसुरी की इस पहल की सराहना की और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
यह शपथ ग्रहण समारोह भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक क्षण के रूप में याद किया जाएगा, जिसमें बांसुरी स्वराज ने अपने सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करते हुए नई पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम की।