
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित खंभात की खाड़ी में एक महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोज ने मानव सभ्यता के इतिहास को फिर से परिभाषित करने की संभावना को जन्म दिया है। हाल ही में किए गए जलमग्न पुरातात्त्विक उत्खनन से पता चला है कि इस क्षेत्र में एक प्राचीन सभ्यता के अवशेष मौजूद हैं, जो हड़प्पा सभ्यता से भी पुरानी हो सकती है।
खंभात की खाड़ी में जलमग्न सभ्यता
खंभात की खाड़ी में किए गए समुद्री सर्वेक्षणों के दौरान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के वैज्ञानिकों ने समुद्र तल के 36 मीटर नीचे संरचनाओं के अवशेष पाए। इन संरचनाओं में दीवारों के टुकड़े, बर्तन, मूर्तियाँ, मानव अस्थियाँ और दाँत शामिल हैं। इन अवशेषों की कार्बन डेटिंग से पता चला है कि ये लगभग 9,500 वर्ष पुराने हैं, जो हड़प्पा सभ्यता से लगभग 5,000 वर्ष पहले के हैं।
सभ्यता की संरचनाएँ और विशेषताएँ
समुद्र तल से प्राप्त अवशेषों में नियमित रूप से व्यवस्थित दीवारें, बर्तन, मूर्तियाँ और अन्य निर्माण सामग्री शामिल हैं। इन संरचनाओं की जाँच से यह संकेत मिलता है कि यह एक विकसित सभ्यता का हिस्सा हो सकती है, जो हड़प्पा सभ्यता से भी पुरानी थी।
इतिहासकारों और पुरातत्वविदों की प्रतिक्रिया
इस खोज ने इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को चौंका दिया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सभ्यता हड़प्पा सभ्यता की पूर्वज हो सकती है, जबकि अन्य इसे एक स्वतंत्र और समृद्ध सभ्यता मानते हैं। इस खोज से यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन भारत में विकसित सभ्यताएँ अस्तित्व में थीं, जो समुद्र के नीचे दब गई हैं।