
राजनीतिक हलकों में आज सुबह पूर्व की अपेक्षा भारी हलचल देखने को मिली जब बिहार की राजनीति एक बार फिर से नए सिरे से मोड़ लेने जा रही है। जनता दल (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने अपने रिकॉर्ड 10वें कार्यकाल की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। यह शपथ ग्रहण समारोह राजधानी पटना के गांधी मैदान में आयोजित हुआ, जहाँ देश के प्रधानमंत्री सहित अनेक शीर्ष नेताओं ने भागीदारी की।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी-नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने 243 सदस्यीय विधानसभा में 202 सीटें हासिल कर बड़ी जीत दर्ज की। इस बैकग्राउंड में शपथ ग्रहण समारोह को सिर्फ एक पद ग्रहण नहीं, बल्कि एक शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया। प्रमुख अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित रहे, जिससे इस आयोजन की राजनीतिक महत्ता और बढ़ गई।
शपथ समारोह के लिए गांधी मैदान को विधि-विधान के साथ सजाया गया, सुरक्षा-व्यवस्था कसी हुई थी और जनसमूह की भारी भागीदारी थी। इस आयोजन में साथ ही कई मंत्रियों ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली — अनुमान है कि 22 मंत्री इस टीम का हिस्सा होंगे।
विश्लेषण करें तो इस 10वीं बार की शपथ एक तरह से नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर का नया अध्याय है। लंबे समय से बिहार में मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार ने अब राजनीतिक परिदृश्य में फिर से अपनी मौजूदगी को पुख्ता किया है। यह जीत एवं शपथ ग्रहण इस बात का संकेत है कि एनडीए इस राज्य में भविष्य की चुनौतियों को काफी आत्मविश्वास के साथ देखने जा रही है।
साथ ही, नई सरकार के गठन के बाद कैबिनेट गठन, मंत्रियों का चयन, सत्ता साझेदारी और सामाजिक-सांस्कृतिक समीकरणों की चुनौतियाँ भी सामने होंगी। कितने डिप्टी मुख्यमंत्री होंगे? कौन-कौन मंत्री बनेंगे? जातीय समीकरण किस तरह तय होंगे? — ये तमाम सवाल अब नीति निर्माण और शासन की दिशा तय करेंगे।
इस तरह, यह शपथ ग्रहण समारोह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि राजनीतिक माहौल में एक मजबूत संकेत है कि बिहार में शासन-प्रशासन के परिदृश्य में बदलाव का दौर शुरू हो गया है। अब यह देखना होगा कि इस नए कार्यकाल में जनता की उम्मीदों, विकास की रणनीति और राजनीतिक स्थिरता के बीच संतुलन कैसे स्थापित होगा।


