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ट्यूबवेल ऑपरेटर का बेटा बना SDM, गोंडा के बेटे ने अपने पैरेंट्स को दिया सफलता का श्रेय

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का शुक्रवार शाम को रिजल्ट जारी कर दिया गया. यह परीक्षा परिणाम उत्तर प्रदेश के गोंडा में रहने वाले एक परिवार के खुशियों की सौगात लेकर आया. यहां ट्यूबवेल ऑपरेटर के बेटे ने संदीप कुमार तिवारी ने पीसीएस एग्जाम में प्रदेश में दसवीं रैंक हासिल की है. संदीप का चयन एसडीएम पद पर हुआ है. रिजल्ट आने के बाद से लोग लगातार संदीप को शुभकामनाएं दे रहे हैं. ग्रामीण लगातार उनके घर पर पहुंच रहे हैं. फिलहाल, संदीप की यह उपलब्धि गोंडा ही नहीं आसपास के जिलों में चर्चा का विषय बनी हुई है.
संदीप ने इससे पहले साल 2021 में भी परीक्षा दी थी, जिसमें उन्होंने प्रदेश में 158वां स्थान प्राप्त किया था, तब संदीप को एसीआर कोऑपरेटिव का पद मिला था. इससे प्रेरित होकर संदीप ने अपनी कोशिश जारी रखी और लगातार तैयारी करते रहे. साल 2022 में उन्होंने यूपी पीसीएस की परीक्षा दी और पूरे प्रदेश में दसवां स्थान हासिल किया. इस सफलता से संदीप ने अपने मां-बाप का नाम रौशन किया और उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. पूरे जिले के लोग संदीप के परिजनों को बधाई और शुभकामनाएं दे रहे हैं.
संदीप ने इससे पहले साल 2021 में भी परीक्षा दी थी, जिसमें उन्होंने प्रदेश में 158वां स्थान प्राप्त किया था, तब संदीप को एसीआर कोऑपरेटिव का पद मिला था. इससे प्रेरित होकर संदीप ने अपनी कोशिश जारी रखी और लगातार तैयारी करते रहे. साल 2022 में उन्होंने यूपी पीसीएस की परीक्षा दी और पूरे प्रदेश में दसवां स्थान हासिल किया. इस सफलता से संदीप ने अपने मां-बाप का नाम रौशन किया और उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. पूरे जिले के लोग संदीप के परिजनों को बधाई और शुभकामनाएं दे रहे हैं.
संदीप कुमार तिवारी गोंडा जिले के मनकापुर क्षेत्र से आते हैं. यहां हरनाटायर गांव के पंडितपुरवा मजरे में उनका घर है. शुरुआती पढ़ाई संदीप ने पास के ही प्राथमिक शिक्षा स्थानीय सरस्वती ज्ञान मंदिर से हासिल की और हाईस्कूल की परीक्षा एपी इंटर कॉलेज से पास की. इंटरमीडिएट और इंटर की परीक्षा उन्होंने अयोध्या जिले के सरस्वती विद्या मंदिर से पास की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह मेरठ चले गए और यहां के आईएमटी इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की. यहां से उन्होंने साल 2013 में कंप्यूटर सांइस से बीटेक किया. संदीप का रुझान प्रशासनिक सेवा में होने के कारण बीटेक के बाद वे सिविल सर्विस की तैयारी करने लगे.