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एयरपोर्ट पर महिला को मेकअप हटाने के लिए किया गया मजबूर

शंघाई के एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक महिला को उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब इमिग्रेशन अधिकारियों ने उसे मेकअप हटाने के लिए मजबूर किया। यह मामला उस वक्त सामने आया जब उसका चेहरा पासपोर्ट में लगी तस्वीर से मेल नहीं खा पाया और चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक (फेशियल रिकग्निशन सिस्टम) ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया।

यह घटना कैमरे में कैद हो गई और जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर डाला गया, यह तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक महिला इमिग्रेशन काउंटर पर खड़ी है और एक अधिकारी उससे बार-बार उसका मेकअप हटाने को कह रहा है। वह महिला चेहरे से टिशू से मेकअप पोंछती हुई दिखाई देती है। चेहरे पर हल्की नाराज़गी और असहजता साफ देखी जा सकती है।

तकनीक बनाम निजता

इस घटना ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि आधुनिक तकनीकों के उपयोग में इंसानी गरिमा और निजता का कितना ख्याल रखा जा रहा है। शंघाई एयरपोर्ट जैसे हाईटेक स्थानों पर बायोमेट्रिक स्कैन और फेस रिकग्निशन अब आम बात हो गई है। लेकिन जब एक व्यक्ति का वास्तविक चेहरा उसके पहचान पत्र से थोड़ा भी अलग हो जाता है, तो ये तकनीकें विफल हो जाती हैं। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोगों ने महिला का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि “मेकअप इतना ज्यादा कर लिया था कि मशीन ने भी पहचानने से मना कर दिया।” वहीं कई लोगों ने इमिग्रेशन अधिकारियों की कार्रवाई को गैर-पेशेवर और असंवेदनशील बताया। कुछ यूज़र्स ने लिखा कि इस तरह सार्वजनिक स्थान पर किसी को मेकअप हटाने को कहना उसकी निजता का सीधा उल्लंघन है।

क्या कहती हैं विशेषज्ञ राय?

मानवाधिकार विशेषज्ञों और प्राइवेसी एक्टिविस्ट्स का कहना है कि यदि व्यक्ति की पहचान करने में तकनीकी बाधा है तो उसके अन्य दस्तावेजों या मैनुअल जांच से समाधान निकालना चाहिए। सार्वजनिक रूप से इस तरह किसी को शर्मिंदा करना न केवल असंवेदनशील है बल्कि मानसिक तनाव देने वाला भी हो सकता है।

प्राइवेसी एक्सपर्ट ली शियाओ ने एक स्थानीय मीडिया को बताया, “यह एक खतरनाक उदाहरण है जहां तकनीक के नाम पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अनदेखी की गई है। मशीनें इंसान की मदद के लिए होती हैं, न कि उन्हें अपमानित करने के लिए।”

चीन की निगरानी नीति पर सवाल

चीन पहले से ही अपनी कठोर निगरानी नीतियों के लिए जाना जाता है, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर भारी मात्रा में कैमरे और चेहरे की पहचान करने वाली तकनीकें लगी हुई हैं। इस घटना ने फिर एक बार यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सुरक्षा के नाम पर आम लोगों की निजता और आत्मसम्मान को दरकिनार किया जा सकता है?

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