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माझा वासियो के लिए सरयू नदी का किनारा अब अभिशाप बनता जा रहा है

नवाबगंज (गोंडा) माझा वासियो के लिए सरयू नदी का किनारा अब अभिशाप बनता जा रहा है। बाढ़ के दंश को झेल चूके लोगो की जिंदगी पटरी पर आने लगी थी की सरयू की कटान के चलते लोगो की स्थिति अब बद से बत्तर होने लगी है। पूरा मामला क्षेत्र के साखीपुर गाँव के मजरे बाड़ी माझा से जुडा हुआ है। यहां इस समय सरयू नदी के किनारे पर कटान जारी हैं जिसके चलते आधा दर्जन लोगो के गेहूं के खेत कटान की जद में आ चूके हैं। वहीं कुछ लोगो के खेतो में कटान अब भी जारी हैं. मजरे की महिला लालमती ने बताया की उनका लगभग 7 बीघा गेहूं का खेत कटान में बह गया है। शेष फ़सल भी कटान की जद में है।रामचंदर का कहना है की उनके पास महज 5 बीघा खेत था जो पूरी तरह कट चुका है। चंदे ने बताया की 2 वर्षो में उनका लगभग 50 बीघा खेत सरयू की धारा में समा चुका है किन्तु कोई सुध लेने वाला नहीं है। बाढ़ के चलते यहां पिछले साल लगभग दर्जनों घऱ नदी के चपेट में आ चूके हैं साथ ही समय आधा दर्जन लोगो के खेत कटान की जद में हैं। कटान के चलते विजली के 4 खम्भे भी टूट चूके हैं।बांस ब्ललियो के सहारे लोग विजली का उपयोग कर रहे हैं।लोगो का कहना है की पिछली बाढ़ में हुए नुकसान का अब तक इन्हे कोई लाभ या मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ है. सर्वे तो अधिकारियो ने कई बार किया लेकिन समस्या का समाधान व सहायता सिर्फ कागजी रहा. इस संबंध में ज़ब हल्का लेखपाल ओमप्रकाश वर्मा से बात की गयीं तो उन्होंने बताया कटान की जानकारी मिली है। रविवार को जाकर जाँच करेंगे. पिछले नुकसान के मुआवजे के बारे में उन्होंने बताया की जल्द ही आर्थिक लाभ पीड़ितों को मिल जायेगा।

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