
भारत सरकार ने 27 जून 2025 से बांग्लादेश से आने वाले जूट और उससे बने उत्पादों के आयात पर उल्लेखनीय सीमा-सम्बंधी प्रतिबंधों की घोषणा की है। अब ये सामग्री किसी भी ज़मीन मार्ग से भारत में प्रवेश नहीं कर सकेगी; केवल महाराष्ट्र के न्हावा शेवा समुद्री बंदरगाह के माध्यम से ही अनुमति दी गई है।
यह कदम सिर्फ जूट तक सीमित नहीं है—बुनाई कपड़े (woven fabrics), यार्न (yarn) और अन्य सम्बद्ध वस्तुओं पर भी समान प्रतिबंध लागू है । इस निर्णय का मकसद भारत की घरेलू जूट उद्योग को संरक्षण प्रदान करना और बांग्लादेश की सब्सिडी‑आधारित “अनफेयर ट्रेड” प्रथाओं को रोकना बताया जा रहा है ।
प्रभाव और रणनीति
- लॉजिस्टिक समस्याएं: ज़मीन मार्ग की अनुपलब्धता से बांग्लादेशक निर्यातकों को महंगे और समय‑खर्चीले समुद्री रास्तों पर निर्भर होना पड़ेगा ।
- प्रतिस्पर्धी बचाव: निर्णय को ओरिएंटल व्यापार असंतुलन और “आत्मनिर्भर भारत” रणनीति के तहत देखा जा रहा है ।
- राजनीतिक संदर्भ: बांग्लादेश ने अप्रैल में भारत से यार्न आयात पर प्रतिबंध लगाया था, जिससे यह कदम द्विपक्षीय ‘टिट-फॉर-टैट’ प्रतिक्रिया माना जा रहा है।
- भविष्य की राह: पर्यावरण, व्यापार संतुलन और रणनीतिक स्वायत्तता के लिए भारत अब अपनी पूर्वोत्तर राज्यों की निर्भरता को मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट्स जैसे ‘कलादन कॉरिडोर’ के माध्यम से कम करने पर विचार कर सकता है ।