
भारत सरकार ने अपने “नेक्स्ट-जन GST” सुधारों का खाका प्रस्तुत किया है, जो जीएसटी प्रणाली को मौलिक रूप से बदलने की दिशा में अग्रसर है। मौजूदा चार दर श्रेणियों (5%, 12%, 18%, 28%) को हटाकर केवल दो मुख्य टैक्स स्लैब – 5% और 18% – बनाए जाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही लक्ज़री और हानिकारक वस्तुओं (जैसे तम्बाकू, पान मसाला) के लिए एक विशेष 40% स्लैब की भी योजना है
सरकार का लक्ष्य है कि इन सुधारों को इस दिवाली तक लागू कर दिया जाए। राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह (GoM) ने इस प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है और इसे सितंबर में होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में रखा जाएगा.
विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिकारियों इस सुधार को अर्थव्यवस्था में एक “गेम-चेंजर” मान रहे हैं। उनका मानना है कि इससे उपभोक्ताओं और एमएसएमई जैसे सेक्टरों को राहत मिलेगी, और जीएसटी प्रणाली में पारदर्शिता व सुगमता आएगी.
लंबी अवधि में उद्देश्य भारत में एकल टैक्स प्रणाली यानी “One Nation, One Tax” की स्थापना है, जिसे 2047 तक चरणबद्ध तरीके से हासिल करने की योजना है.
राजनीतिक परिदृश्य में, विपक्षी कांग्रेस इस सुधार के प्रस्ताव पर सवाल उठा रही है और वित्तीय सुधारों में अपने पूर्व सुझावों का ज़िक्र कर रही है। वहीं सरकार इस पर जोर देकर कह रही है कि यह सुधार “गेम-चेंजर” है और इसे लागू करना समय की मांग है.
वित्त मंत्रालय ने यह भी भरोसा व्यक्त किया है कि यदि टैक्स दरों में कमी के कारण राजस्व में गिरावट होती है, तो उसे देश की राजकोषीय क्षमता के अंतर्गत संभाला जा सकता है। इसके लिए वित्त आयोग व्यापक मूल्यांकन करेगा.
कुल मिलाकर, ‘Next-Gen GST’ भारत की कर नीति को सरल, तर्कसंगत और भविष्योन्मुख बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।