
ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच भारत सरकार द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन सिंधु” के तहत ईरान से सुरक्षित निकाले गए करीब 90 कश्मीरी छात्र जब नई दिल्ली पहुंचे, तो उन्हें जम्मू-कश्मीर वापस ले जाने के लिए जो बसें उपलब्ध कराई गईं, उनकी स्थिति को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है।
दिल्ली से कश्मीर के लिए रवाना हुए इन छात्रों ने शिकायत की कि उन्हें जिन बसों में भेजा गया, वे बेहद जर्जर और असुविधाजनक थीं। कई छात्रों ने बताया कि बसों की सीटें टूटी हुई थीं, अंदर गंदगी फैली हुई थी और यात्रा के दौरान उन्हें भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
इस मुद्दे पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर जानकारी दी कि उन्हें इस समस्या की जानकारी मिली है और उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि आगे से छात्रों के लिए “डिलक्स कोच” की व्यवस्था की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इस प्रकार की स्थिति दोबारा न हो।
इन छात्रों को ईरान से निकाला गया था जहां वे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। ईरान में मिसाइल हमलों के बीच कई छात्रों ने वीडियो संदेशों में बताया था कि उन्होंने अपनी आँखों से मिसाइलें गिरते हुए देखीं और जान बचाने के लिए शरण लेनी पड़ी। सरकार ने उन्हें पहले वियना और फिर दिल्ली लाकर सुरक्षित निकाला।
हालांकि, छात्रों ने भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन का आभार व्यक्त किया है कि उन्हें युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकाला गया, लेकिन वापसी यात्रा की अव्यवस्था ने उनके अनुभव को थोड़ा कड़वा बना दिया।