
नई दिल्ली/वॉशिंगटन:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 35 मिनट तक चली फोन बातचीत ने एक बार फिर भारत की विदेश नीति को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित कर दिया है। इस बातचीत में ट्रंप ने भारत से मध्यस्थता के लिए समर्थन मांगा, लेकिन पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों में इनकार करते हुए कहा:
“भारत ने न कभी किसी मध्यस्थता को स्वीकारा है, न आगे करेगा। ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह भारत की संप्रभु कार्रवाई है।“
बातचीत ऐसे समय हुई जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर अमेरिका पहुंचे हुए हैं और पश्चिम एशिया में युद्ध जैसे हालात बने हैं। ट्रंप ने भारत से ईरान और इज़रायल के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाने की अपील की, लेकिन भारत ने दो टूक अंदाज में यह पेशकश ठुकरा दी।
🔥 ऑपरेशन सिंदूर: भारत का आत्मनिर्भर सैन्य जवाब
“ऑपरेशन सिंदूर” भारत द्वारा मई में लॉन्च किया गया एक सर्जिकल मिशन था, जिसमें पीओके और पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी ठिकानों को टारगेट किया गया। इस मिशन ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर किसी तरह की ढिलाई नहीं करेगा।
इस ऑपरेशन के चार दिन बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच सीज़फायर की स्थिति बनी, लेकिन पाकिस्तान की ओर से लगातार उल्लंघनों ने भारत को सतर्क कर दिया है।
🗣️ मोदी का ट्रंप को जवाब – ‘मध्यस्थता नहीं, संप्रभुता चाहिए‘
मोदी ने फोन पर यह भी साफ कर दिया कि भारत किसी तीसरे पक्ष को अपने कूटनीतिक या सामरिक निर्णयों में हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देता। उन्होंने कहा:
“भारत एक जिम्मेदार लोकतंत्र है। हम केवल शांति के पक्ष में हैं, लेकिन अपनी सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करेंगे।“
🏛️ विपक्ष की मांग – बुलाया जाए विशेष संसद सत्र
इसी बीच विपक्ष ने “ऑपरेशन सिंदूर” और सीज़फायर के हालात पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। 16 विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को एक पत्र भेजकर पारदर्शिता की अपील की है।