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भारत के 12 सबसे अजीबोगरीब मंदिर

भारत के 12 सबसे अजीबोगरीब मंदिर

भारत में प्राचीन शक्तिपीठों और ज्योतिर्लिंगों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वेदिक काल में, यक्ष, नाग, शिव, दुर्गा, भैरव, इंद्र और विष्णु जैसे देवताओं की पूजा और प्रार्थना की जाती थी। इसका प्रमाण रामायण काल में उपलब्ध है। रामायण का काल लगभग 7,200 वर्ष पूर्वी है, अर्थात् 5114 ईसा पूर्व।

इंसानों का आचरण यह है कि वे अगर किसी जगह से अपेक्षित लाभ नहीं प्राप्त करते हैं, तो वे अपने स्थान, भगवान, घर बदल लेते हैं। यह कहा जा सकता है कि “जैसा काम वैसा देवता” होता है। हिन्दू मंदिरों की रचना लगभग 10,000 वर्ष पूर्व हुई थी। वैदिक काल में, ऋषि-मुनियों ने अपने आश्रमों में तपस्या, प्रार्थना और यज्ञ किए थे। इसके बावजूद, जनता शिव और पार्वती के अलावा नगर, ग्राम और स्थान के देवताओं की पूजा करती थी। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं, जिनकी पूजा भारत के लोग करते हैं ।

मनुष्य जानता है कि वह सर्वदाता, श्रष्टा, ईश्वर है, जो सबकी किस्मत लिखने वाला है, सबका खुश रखने वाला है, सबका भला करता है। वह देर सवेर अपने भक्तों की सुनता है। लेकिन इंसान को जल्दी काम होने वाला, काम जल्द करवाने वाला भगवान चाहिए। भारत में कई शक्तिपीठ हैं जहां सभी की इच्छा पूरी होती है। लेकिन आज के समय में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जिन्हें मनुष्यों ने अपनी दिमागी उपज से बनाया है और उन्हें मान्यता भी है। इन मंदिरों में पूजा-अर्चना, वार्षिक संगोष्टी और मेला भी आयोजित होता है।

  1. ओम बन्ना मंदिर

राजस्थान के पाली से 20 किमी. दूर पाली जोधपुर हाईवे पर एक गांव है चोटिला। यहां ओम बन्ना नामक मंदिर है। इस मंदिर में श्रद्धालु बुलेट के सामने माथा टेकते हैं, उसे माला पहनाते हैं और अपनी और अपनों की सलामती की कामना और मन्नत मांगते हैं।आस-पास के रहवासियों और बुजुर्गों का कहना है कि इस दुर्घटना के बाद ओम बन्ना की आत्मा को अक्सर यहां देखा गया।

आते-जाते राहगीरों को ओम बन्ना की आत्मा दुर्घटना से बचाती हैं और ड्राइवरों को रात में वाहन चलाते समय सावधान करती दिखाई देने लगी। लोगों की मानें तो ओम बन्ना की आत्मा उस दुर्घटना संभावित क्षेत्र के पास गाड़ियों को या तो रोक देती थी या फिर रफ्तार धीमी कर देती थी। जिससे कि कोई व्यक्ति अकाल मौत न मरे। इतने सालों बाद आज भी इस रास्ते जाने वाला हर वाहन ओम बन्ना और उनकी बाइक से मन्नत मांगने व प्रार्थना करने जरूर जाता है ।

2. चाइनीस काली मंदिर

कोलकाता में तांगरा एरिया में एक चाइना टाउन है जहां चाइनीज रेस्टोरेंट, जूते की दुकान, ब्यूटी पार्लर सेन्चुरी से चलाते आए हैं। यहां एक काली मंदिर है जो चाइनीज काली मंदिर के नाम से जानी जाती है। ये इंडियन और चाइनीज के बीच क्रॉस कल्चरल मंदिर है। कोलकाता में बड़ी चाइनीज कम्युनिटी है जो अक्सर हिंदुओ से मेल मिलाप नहीं रखते। लेकिन काली पूजा के दिन यहां के चाइनीज एक दिन की छुट्टी लेकर काली मंदिर आते हैं। वर्किंग डे पर भी आप को कोलकाता में तांगरा के चाइनीज यहां मंदिर के सामने जूते उतारकर सिर झुकाते दिख जाएंगें।

3. मंकी टेंपल

जयपुर भारत के सबसे सुंदर शहरों में से एक है। पिंक सिटी के नाम से जाना जाने वाला यह शहर अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं बल्कि यहां के मंदिरों के लिए भी मशहूर है। धर्म अध्यात्म के अनुसार यहां का प्रसिद्ध मंदिर गलताजी मंदिर और कुण्ड भी धार्मिक मान्यताओं से भरा है। जयपुर से लगभग 10 कि.मी. दूरी पर अरावली पहाड़ियों में गलता नाम का मंदिर और कुंड है। यह जगह सात कुण्डों और अनेक मंदिरों के साथ प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है।

4. कर्ण मंदिर

सूर्यपुत्र दानवीर कर्ण भगवान शिव की पूजा करने के पश्‍चात, सवामन सोना प्रतिदिन दान किया करते थे। मान्यता के अनुसार, उसी स्थान 2012 की दीपावली को शिवलिंग की पुनः स्थापना कर दी गयी है। ऐसा माना जाता है कि पास ही मे एक देवी माँ का मंदिर था। जो कर्ण को सोना दिया करतीं थीं, आज वो मंदिर विलुप्त हो चुका है या धरती मे समा गया है।

आज का कर्ण मंदिर बूढ़ी गंगा के पुल के पास स्थित है। महाभारत काल मे गंगाजी, इसी घाट से होकर गुजरती थीं। गंगा जी का प्रवाह इस स्थान से दूर हो जाने की वजह से, अब इस विलुप्त धारा को बूढ़ी गंगाजी के नाम से जाना जाने लगा है। कर्ण घाट से थोड़ा ही दूर, दौपदी घाट को बूढ़ी गंगा पुल के विपरीत दिशा मे देखा जा सकता है ।

5. काल भैरव मंदिर

मंदिर की इमारत का जीर्णोद्धार करीब एक हजार साल पहले परमार कालीन राजाओं ने करवाया था। इस निर्माण कार्य के मंदिर की पुरानी सामग्रियों का ही इस्तेमाल किया गया था। मंदिर बड़े-बड़े पत्थरों को जोड़कर बनाया गया था। यह मंदिर आज भी मजबूत स्थिति में दिखाई देता है। इस मंदिर के संबंध चमत्कारी बात ये है कि यहां स्थित कालभैरव की प्रतिमा मदिरा (शराब) का सेवन करती है लेकिन मदिरा जाती कहां है ये रहस्य आज भी बना हुआ है। प्रतिमा को मदिरा पीते हुए देखने के लिए यहां देश-दुनिया से काफी लोग पहुंचते हैं ।

6. भारत माता मंदिर

भारत मां का ये मंदिर देश ही नहीं विदेशी सैलानियों की निगाहों का खास मरकज है।  महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का एक अनूठा हिस्सा है भारत माता मंदिर। इसका उद्घाटन स्वयं  महात्मा गांधी ने किया था। इस मंदिर का अनूठा शिल्प बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने तैयार किया, वो भी गणितीय सूत्रों के आधार पर। दुर्गा प्रसाद खत्री की देखरेख में 25 शिल्पकारों और 30 मजदूरों ने इस मंदिर को छह साल के लंबे अरसे के बाद साकार किया। इनके नाम भी इस मंदिर के एक कोने में लिखे हुए हैं।

इसका उद्घाटन बापू ने 25 अक्तूबर 1936 में किया गया।दो मंजिले मंदिर के गर्भगृह में कुंडाकार प्लेटफार्म पर उकेरा गया भारत भूमि का विशाल संगमरमरी मानचित्र ही यहां ईष्ट है।हर साल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर इस नक्शे में दिखाए गए जलाशयों में पानी भरा जाता है और मैदानी इलाकों को फूलों से सजाया जाता है। इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया इसलिए यह मंदिर बहुत फेमस है ।

7. अमिताभ बच्चन टेंपल

ये दुनिया में अमिताभ बच्चन का इकलौता मंदिर बताया जाता है. बिग बी के मंदिर में रोज 6 मिनट की फिल्मी आरती करके अमिताभ बच्चन और उनके जूतों की पूजा की जाती है. मंदिर में अमिताभ बच्चन का चालीसा भी पढ़ा जाता है. पूजा होने के बाद सबको प्रसाद भी दिया जाता है. मंदिर में जिस जूते की पूजा की जाती हैं वह जूता अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्म अग्निपथ में पहना था.

इस मंदिर को साल 2001 में अमिताभ बच्चन के फैन संजय पटौदिया ने बनवाया था. अमिताभ बच्चन ने मंदिर के लिए अपने जूते और कुर्सी भिजवाई थी. बिग बी के मंदिर में उनकी फिल्म अक्स की कुर्सी रखी हुई जिस पर अमिताभ बच्चन की फोटो है। ऐसा उनके अभिन्न शुभचिंतक के द्वारा किया गया है ।

8. सचिन तेंदुलकर टेंपल

आपको जानकर हैरानी होगी कि बीजेपी नेता और भोजपुरी गायक मनोज तिवारी ने सचिन तेंदुलकर का मंदिर बनवाया है. वह सचिन तेंदुलकर के बहुत बड़े शुभचिंतक हैं बिहार में बने सचिन के मंदिर में पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और धांकड़ बल्लेबाज युवराज सिंह की प्रतिमाएं भी लगी हैं.सचिन की मूर्ति पांच फुट तीन इंच की है, जो संगमरमर की है।

इस आदमकद मूर्ति में सचिन इंडियन क्रिकेट टीम की आधिकारिक ब्लू जर्सी में हैं. उनके हाथ में वर्ल्‍डकप है. सचिन की मूर्ति तैयार को राजस्थान के मूर्तिकार ने बनाया है. सचिन की मूर्ति को 15 फीट उंचे चबूतरे पर स्थापित किया गया है. मूर्ति पर मौसम का प्रभाव न पड़े इसके लिए व्यवस्था की गई है।

9. सोनिया गांधी टेंपल

आंध्र प्रदेश के एक कांग्रेसी नेता ने सोनिया को तेलंगाना की देवी करार देते हुए उनका मंदिर बनवाने का काम शुरू किया है, जहां सोनिया की 9 फीट [2.7 मीटर] ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। ,स्थानीय कलाकार उनकी प्रतिमा को मूर्तरूप दे रहे हैं, जिसमें वह एक हाथ में पौधा और एक में फलों से भरा कटोरा है। मुझे उम्मीद है कि यह मंदिर आगे चल कर बहुत बढ़ेगा और लोग यहां सोनिया गांधी की प्रार्थना करने के लिए आएंगे।

10. डाकू ददुआ टेंपल

35 साल के इतिहास में ददुआ हर बार पुलिस पर भारी पड़ा। 1986-87 में जब पाठा के जंगल में पुलिस भूख और मच्छरों के कहर से बिलबिला रही थी तो उसने खाकी को रसद भेजी। पुलिस से उसकी पहली और आखिरी मुठभेड़ 2007 में ही हुई। किडनैपिंग, सरकारी ठेकों से कमिशन, व्यापारियों से चौथ वसूलता था। उसके आदेश के बिना जंगलों में तेंदूपत्ता (बीड़ी का पत्ता) नहीं तोड़ा जाता था। उसके आतंक से मानिकपुर के कई घरों में अब तक ताले लटके हैं। 2010 में उसकी करोड़ों की प्रॉपर्टी सीज की गई। क्या दौर है आजकल डाकू ओ की भी पूजा अर्चना होती है ।

11. डॉग  टेंपल

इस मंदिर के गर्भगृह में कुत्ते की प्रतिमा स्थापित है, जबकि उसके बगल में एक शिवलिंग भी है। सावन के महीने में इस मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है। लोग शिव जी के साथ-साथ कुत्ते (कुकुरदेव) की भी वैसे ही पूजा करते हैं जैसे शिवमंदिरों में नंदी की पूजा होती है। मंदिर के मंदिर के गर्भगृह के अलावा यहां के प्रवेश द्वार पर भी दोनों ओर कुत्तों की प्रतिमा लगाई गई है। यहां ऐसी मान्यता है कि कुकुरदेव का दर्शन करने से न कुकुरखांसी होने का डर रहता है और न ही कुत्ते के काटने का खतरा रहता है।

12. वीजा टेंपल

हैदराबाद के चिल्कुर बालाजी मंदिर को ‘वीजा टेंपल’ भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां विराजे भगवान बालाजी को नारियल चढ़ाने से लोगों को आसानी से वीजा मिल जाता है। अन्य मंदिरों की तरह यहां दानपेटी नहीं होती। अगर मन्नत पूरी हो जाए तो यहां आकर मंदिर के 108 परिक्रमा करनी पड़ती है यह एक प्रकार से भगवान को धन्यवाद देना होता है ।

भारत के 12 सबसे अजीबो गरीब मंदिर जिनको देख कर हर कोई बोलेगा- ये हैं मेरा इंडिया

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