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दिल्ली-हवा में घुला “धातु का जहर”: Central Pollution Control Board की रिपोर्ट में कोपर, क्रोमियम, जिंक व मोलिब्डेनम के बढ़ते स्तर का खुलासा

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नई दिल्ली – राजधानी की हवा अब सिर्फ धूल-धुँध का नहीं रही बल्कि उसमें भारी धातुओं का घुलाव भी सामने आया है, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए चिंताजनक संकेत है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में खुलासा किया है कि दिल्ली की वायु में – विशेष रूप से पीएम10 (Particulate Matter 10 micrometre) कणों में – जिंक, तांबा (कॉपर), क्रोमियम और मोलिब्डेनम जैसी भारी धातुओं की मात्रा सुरक्षित स्तर से कहीं अधिक पाई गयी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जून-जुलाई 2025 के बीच 10 बड़े महानगरों में की गई वायु-गुणवत्ता मॉनिटरिंग में दिल्ली के कुछ इलाकों- जैसे पीतमपुरा, शीफोर्ट, जनकपुरी एवं शाहदरा-से नमूने लिये गए थे। वहाँ पीएम10 का औसत स्तर लगभग 130 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर बना, जो राष्ट्रीय मानक (60 µg/m³) से करीब दोगुना है।

धातुओं की मात्रा पर देखें तो:

  • जिंक (zinc) ~ 243.5 नैनोग्राम प्रति घन मीटर

  • तांबा (copper) ~ 55.13 n g/m³

  • क्रोमियम (chromium) ~ 12.25 n g/m³

  • मोलिब्डेनम (molybdenum) ~ 0.91 n g/m³

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ये धातुएँ सामान्य रूप से पीएम10 कणों के साथ जुड़ी हुई पाई गयी थीं, और इनका हिस्सा पीएम10 में लगभग 0.1 % से 2.1 % के बीच रहा।

क्या है खतरा?
हवा में भारी धातुओं की मौजूदगी का मतलब है कि इन कणों को सांस-मार्ग से लेने पर हमारा शरीर सीधे संपर्क कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, तांबा, क्रोमियम, जिंक व मोलिब्डेनम इनपुट्स खतरनाक हो सकते हैं—विशेषकर बच्चों, वृद्धों और फेफड़े-किडनी से जुड़ी परेशानी वाले व्यक्तियों के लिए। अमर उजाला की रिपोर्ट में उल्लेख है कि ये धातुएँ “फेफड़ों-किडनी और बच्चों के विकास” को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

मूल कारण और चिंताएँ
प्रदूषण का ये नया पहलू तब सामने आया है जब हम यह जान पा रहे हैं कि सिर्फ वायु में धूल ही नहीं बल्कि वह धूल जिस पर ये धातु चिपके हैं–वह भी हमारे लिए खतरा बना हुआ है। कारणों में उद्योग, निर्माण गतिविधियों, वाहनों से निकलने वाला धूल-कण, मिट्टी-उठान तथा वाहनों द्वारा पुनःउठाया गया मिट्टी-कण शामिल हो सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन धातुओं का स्तर कम करने का एक बड़ा तरीका यह है कि पीएम10 स्तर में कमी लाई जाए।

दिल्ली के कुछ इलाकों जैसे शाहदरा और पीतमपुरा में स्थिति और अधिक गंभीर पाई गयी है। उदाहरण के लिए शाहदरा में पीएम10 स्तर 222 µg/m³ तक पहुँच गया था, जहाँ जिंक की मात्रा 265 नैनोग्राम तक पाई गयी थी। पीतमपुरा में जिंक का स्तर 342 n g/m³ तक दर्ज हुआ था।

सरकारी पहल और आगे-का रास्ता
CPCB ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि सरकार और सम्बंधित एजेंसियों को पीएम10 की मात्रा को 2025-26 तक 40 % तक कम करना है–यह लक्ष्य National Clean Air Programme (NCAP) के तहत रखा गया है। लेकिन अभी तक इन भारी धातुओं के लिए भारत में कोई विशिष्ट मानक नहीं है, जिससे कार्रवाई में जटिलता है।

इसके आलावा, विशेषज्ञों ने यह सुझाव दिया है कि वायु-मॉनिटरिंग सिस्टम को और संवेदनशील बनाना होगा; निर्माण-आईजोन, यातायात ज्‍यादा वाले इलाके और औद्योगिक क्षेत्रों में विशेष निगरानी बढ़नी चाहिए; लोगों को मास्क पहनने, एयर-प्यूरिफायर इस्तेमाल करने और उन इलाकों से दूर रहने की सलाह दी जानी चाहिए जहाँ प्रदूषण उच्च है।

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