
दिल्ली में 9 मई 2025 को नागरिक सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। यह ड्रिल खास तौर पर हमले की आशंका के मद्देनज़र की गई, जिसमें ITO क्षेत्र में स्थित PWD भवन पर एयर रेड सायरन की टेस्टिंग की गई। मॉक ड्रिल का उद्देश्य नागरिकों में जागरूकता फैलाना और संभावित आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना था।
ITO पर सायरन की टेस्टिंग:
- ITO क्षेत्र में सायरन की टेस्टिंग:
दिल्ली के ITO क्षेत्र स्थित PWD भवन की छत पर दोपहर 3 बजे सायरन बजाए गए, जिसका उद्देश्य नागरिकों को आपातकालीन स्थिति में सायरन के बजने पर सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी देना था। इस टेस्ट के दौरान, यह देखा गया कि कितने लोग सायरन को पहचान पाते हैं और आपातकालीन स्थिति में किस प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं। - सायरन की रेंज और नियंत्रण:
PWD मंत्री प्रवेश वर्मा ने इस टेस्ट के दौरान बताया कि दिल्ली में ऊंची इमारतों पर 8 किलोमीटर रेंज वाले सायरन लगाए जा रहे हैं, जो सिंगल कमांड सेंटर से नियंत्रित किए जाएंगे। इस केंद्र से सभी सायरन की टेस्टिंग, ऑपरेशन और बंद करने की प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाएगा, ताकि किसी भी संभावित आपात स्थिति के दौरान तेजी से प्रतिक्रिया की जा सके। - आगे की योजना:
मंत्री ने यह भी बताया कि इस मॉक ड्रिल के तहत दिल्ली में आने वाले समय में 40 से 50 सायरन और उच्च इमारतों पर लगाए जाएंगे। इससे नागरिकों को आपातकालीन परिस्थितियों में किसी भी प्रकार की घबराहट या असमंजस से बचने में मदद मिलेगी और वे सुरक्षित तरीके से अपनी स्थिति का आकलन कर सकेंगे।
मॉक ड्रिल का महत्व:
यह मॉक ड्रिल खासतौर पर पाकिस्तान से बढ़ते तनाव को देखते हुए की गई। कुछ दिन पहले ही ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, और पाकिस्तान द्वारा भारत की सीमाओं पर हमले की आशंका जताई गई थी। ऐसे में, दिल्ली पुलिस और प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया कि नागरिक किसी भी हमले के समय सही तरीके से प्रतिक्रिया कर सकें और खुद को सुरक्षित रख सकें।
इस ड्रिल का उद्देश्य सुरक्षा की स्थिति को समझना और यह सुनिश्चित करना था कि यदि कोई वास्तविक हमले जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो नागरिकों के पास सही जानकारी हो और वे त्वरित प्रतिक्रिया दे सकें।
सायरन और सुरक्षा उपायों का प्रभाव:
मॉक ड्रिल का एक प्रमुख उद्देश्य यह था कि नागरिकों को यह सिखाया जाए कि सायरन बजने पर उन्हें क्या करना चाहिए। मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजने पर यह देखा गया कि लोग तुरंत सुरक्षित स्थानों की ओर बढ़े, जैसे कि आलमारियों में छिपना या निकटवर्ती बंकरों में जाना। इससे यह पता चला कि नागरिकों में जागरूकता की कमी नहीं है, लेकिन प्रशासन को और भी नियमित अभ्यास और प्रशिक्षण देने की जरूरत है।
PWD मंत्री ने यह भी कहा कि इस तरह की ड्रिल का उद्देश्य नागरिकों को इस प्रकार की आपात स्थिति के लिए मानसिक रूप से तैयार करना है। उनका मानना है कि जागरूकता और प्रशिक्षण से ही हम किसी भी आपातकालीन स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
मॉक ड्रिल का भविष्य में उपयोग:
दिल्ली प्रशासन का कहना है कि यह मॉक ड्रिल भविष्य में और भी अधिक क्षेत्रों में की जाएगी। इसके तहत, दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सायरन और अन्य सुरक्षा उपायों को इंस्टॉल किया जाएगा, जिससे नागरिकों को आपातकालीन परिस्थितियों में संवेदनशीलता और प्रतिक्रिया में मदद मिल सके।
आने वाले दिनों में दिल्ली में आपातकालीन कक्ष और निगरानी केंद्रों को और भी ज्यादा विकसित किया जाएगा ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।