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चार लाख 95 हजार से अधिक EPS-95 पेंशनभोगियों को मासिक 1500 रुपये से भी कम पेंशन

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देश के करोड़ों सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए बनाई गई कर्मचारी पेंशन योजना-1995 (EPS-95) की वास्तविक स्थिति सरकार द्वारा हाल ही में संसद में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से सामने आई है। इन आंकड़ों ने यह साफ कर दिया है कि बड़ी संख्या में पेंशनभोगियों को अब भी बेहद कम पेंशन मिल रही है, जो बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की मौजूदा लागत के हिसाब से नगण्य कही जा सकती है।

श्रम और रोजगार मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में EPS-95 के करीब 81.48 लाख पेंशनभोगी देशभर में पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। इनमें से लगभग 49.15 लाख यानी आधे से ज्यादा लोगों को महज 1,500 रुपये से भी कम मासिक पेंशन मिल रही है। यही नहीं, करीब 96 प्रतिशत पेंशनभोगियों यानी 78.7 लाख से अधिक को 4,000 रुपये से कम पेंशन मिलती है। यदि सीमा 6,000 रुपये तक कर दी जाए तो लगभग 99 प्रतिशत पेंशनभोगी इसी दायरे में आते हैं।

दूसरी ओर, 6,000 रुपये से अधिक मासिक पेंशन पाने वालों की संख्या बेहद सीमित है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि EPS-95 योजना के केवल 53,541 लोग ही 6,000 रुपये से ज्यादा मासिक पेंशन प्राप्त करते हैं। यह कुल पेंशनभोगियों का मात्र 0.65 प्रतिशत हिस्सा है।

वर्तमान में इस योजना के तहत न्यूनतम पेंशन की सीमा 1,000 रुपये मासिक तय है। इसे 2014 में लागू किया गया था। हालांकि, महंगाई और जीवनयापन की लागत को देखते हुए इस न्यूनतम सीमा की लंबे समय से आलोचना होती रही है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कुल 23,028 करोड़ रुपये की पेंशन का वितरण किया। यह आंकड़ा 2022-23 के मुकाबले अधिक है, जब 22,113 करोड़ रुपये की पेंशन दी गई थी। इसके अलावा, मार्च 2025 तक EPFO के अधिप्रयुक्त (inactive) खातों में करीब 10,898 करोड़ रुपये जमा थे।

ट्रेड यूनियन और पेंशनभोगी संगठनों ने इस पर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि 1,500 रुपये या इससे कम की पेंशन पर जीवन-यापन असंभव है। यही कारण है कि लगातार यह मांग उठ रही है कि EPS-95 पेंशन की न्यूनतम सीमा 9,000 रुपये मासिक की जाए और इसे महंगाई भत्ते (DA) से भी जोड़ा जाए। कई संगठनों ने इसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों की गरिमा और सामाजिक सुरक्षा से सीधे जुड़ा मुद्दा बताया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति देश की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली पर सवाल खड़ा करती है। करोड़ों कर्मचारी जिन्होंने अपने पूरे जीवन भर नियमित योगदान दिया, उन्हें बुढ़ापे में इतनी कम पेंशन मिलना असंतोष और असुरक्षा की भावना पैदा करता है। इसके चलते भविष्य में सरकार पर दबाव और बढ़ सकता है कि वह EPS-95 पेंशन योजना की समीक्षा करे और इसे समयानुकूल बनाए।

स्पष्ट है कि EPS-95 योजना, जो कभी कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद की सुरक्षा मानी जाती थी, अब बड़ी संख्या में लोगों के लिए अपर्याप्त साबित हो रही है। सवाल यह है कि क्या सरकार और EPFO आने वाले समय में पेंशन राशि को वास्तविक आवश्यकताओं के अनुरूप बढ़ाने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएंगे।

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