
समाचार का विस्तृत विवरण (हिंदी में):
पृष्ठभूमि:
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र एक बेहद रणनीतिक और तकनीकी कदम उठाया है। सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए उन्नत जैमिंग सिस्टम (GNSS Jammers) को सक्रिय कर दिया है।
क्या हैं GNSS जैमर्स?
GNSS (Global Navigation Satellite System) जैमर्स ऐसे उपकरण होते हैं जो उपग्रहों से आने वाले नेविगेशन सिग्नलों को बाधित कर देते हैं। इसका सीधा असर किसी विमान या ड्रोन की दिशा, स्थिति और उड़ान नियंत्रण प्रणाली पर पड़ता है।
भारत ने अब इन्हीं जैमर्स का प्रयोग करते हुए पाकिस्तान के विमानों और ड्रोन सिस्टम की नेविगेशन क्षमताओं को निशाना बनाया है, जिससे उनकी गतिविधियां सीमित या विफल हो सकती हैं।
कब और क्यों उठाया गया यह कदम?
- 30 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में विदेशी आतंकियों के शामिल होने की आशंका है।
- भारत ने 1 मई से 23 मई तक पाकिस्तान के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है।
- हमले की जांच और खुफिया रिपोर्टों के बाद भारतीय एजेंसियों को यह संकेत मिले कि पाकिस्तान की ओर से ड्रोन और सैन्य विमानों के जरिए गतिविधियां तेज की जा रही हैं।
- इसके जवाब में भारत ने तुरंत इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर रणनीति को अमल में लाते हुए जैमर्स को तैनात किया।
इतिहास से सबक:
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने इस तरह की रणनीति अपनाई हो।
- 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक के समय भी भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के रडार सिस्टम को सफलतापूर्वक जैम किया था, जिससे पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई क्षीण हो गई थी।
- अब एक बार फिर भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंक के खिलाफ उसकी रणनीति केवल सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि अब टेक्नोलॉजी फ्रंट पर भी निर्णायक होगी।
रणनीतिक संदेश:
भारत का यह कदम सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है—अब अगर कोई देश भारत की सीमाओं पर या भीतर अशांति फैलाने की कोशिश करेगा, तो उसे आधुनिक तकनीकी ताकतों से मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।
आगे की राह:
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर रक्षा रणनीति का अहम हिस्सा बनेगा। जैमिंग, साइबर इंटरफेरेंस और ड्रोन्स जैसे हाईटेक हथियार भारत की सुरक्षा नीति में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।