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ड्यूटी निभाते तो गोधरा जलता नहीं"

गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के गोधरा कांड से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में 9 रेलवे पुलिसकर्मियों (GRP) की बर्खास्तगी को बरकरार रखा है। इन पुलिसकर्मियों को 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात किया गया था, लेकिन ट्रेन की देरी के कारण वे ड्यूटी पर नहीं पहुंचे और दूसरी ट्रेन से लौट आए। इस लापरवाही के चलते गोधरा स्टेशन के पास ट्रेन में आग लगाने की घटना हुई, जिसमें 59 यात्रियों की मौत हो गई थी।

जस्टिस वैभवी नानावटी ने 24 अप्रैल 2025 को दिए अपने आदेश में कहा कि अगर ये पुलिसकर्मी साबरमती एक्सप्रेस में सवार होते, तो गोधरा स्टेशन के पास हुई ट्रेन में आग लगाने की घटना को रोका जा सकता था। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिसकर्मियों ने रजिस्टर में झूठी एंट्री की और शांति एक्सप्रेस से अहमदाबाद लौट गए, जो कि गंभीर लापरवाही और कर्तव्यहीनता है।

गुजरात सरकार ने घटना की जांच के बाद 2005 में इन 9 GRP कर्मियों को निलंबित कर सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इनमें तीन हथियारबंद और छह सामान्य पुलिसकर्मी शामिल थे। उन्होंने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अदालत ने सरकार के फैसले को सही ठहराया।

सरकार की ओर से कहा गया कि इन पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ ड्यूटी से बचने के लिए दूसरी ट्रेन ली, बल्कि दाहोद स्टेशन पर झूठी एंट्री भी की, जिससे कंट्रोल रूम को गलत सूचना मिली कि ट्रेन में सुरक्षा मौजूद है। साबरमती एक्सप्रेस को ‘ए श्रेणी’ में रखा गया था, जिसमें अक्सर चेन पुलिंग, झगड़े और अन्य अपराध होते हैं, इसलिए सुरक्षा टीम का होना अनिवार्य था।

जस्टिस नानावटी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लिया और इतने महत्वपूर्ण कर्तव्य को हल्के में लिया। अदालत ने माना कि इस मामले में कोई हस्तक्षेप उचित नहीं है और अनुच्छेद 226 के तहत याचिकाएं खारिज कर दीं। यह फैसला न सिर्फ कर्तव्यपालन में लापरवाही के गंभीर परिणामों को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सुरक्षा तंत्र की छोटी सी चूक भी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है।

निष्कर्ष:
गुजरात हाईकोर्ट का यह निर्णय सुरक्षा बलों की जिम्मेदारियों और उनके कर्तव्यों के प्रति सजगता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह मामला दर्शाता है कि ड्यूटी में लापरवाही कितनी गंभीर परिणाम ला सकती है, और न्यायपालिका ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

गोधरा कांड

तारीख: 27 फरवरी 2002
स्थान: गोधरा रेलवे स्टेशन, गुजरात
घटना: साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी

2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे (S-6) में आग लगा दी गई थी। यह ट्रेन अयोध्या से कारसेवकों को लेकर लौट रही थी। आगजनी में 59 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यह एक दिल दहला देने वाली घटना थी, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया।

परिणाम:

गोधरा की इस घटना के बाद पूरे गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क उठे, जिनमें हजारों लोगों की जान गई, और लाखों लोग प्रभावित हुए। यह घटना भारतीय इतिहास के सबसे विवादास्पद और संवेदनशील मामलों में से एक मानी जाती है।

जांच और सजा:

  • इस मामले की जांच नानावटी आयोग और एसआईटी (Special Investigation Team) ने की।
  • कोर्ट ने दर्जनों लोगों को दोषी ठहराया, और कई को आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई।
  • यह केस अब भी सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी बहस का केंद्र बना रहता है।

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