
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच पाकिस्तान की घबराहट अब खुलकर सामने आने लगी है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत में जवाबी कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। इसी पृष्ठभूमि में पाकिस्तान ने 1 मई से 31 मई तक कराची और लाहौर के कुछ हिस्सों में अपने हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) को अस्थायी रूप से बंद करने का फैसला लिया है।
एयरस्पेस पर आंशिक पाबंदी:
सूत्रों के अनुसार, यह पाबंदी पूरे एयरस्पेस पर लागू नहीं है, बल्कि कुछ चुनिंदा हवाई मार्गों (routes) पर लागू की गई है। पाकिस्तान ने इसका कारण “सुरक्षा संबंधी चिंताएं” बताया है, लेकिन रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की संभावित जवाबी सैन्य कार्रवाई के डर से उठाया गया है।
सेना के दबाव में फैसला:
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स और एक्सप्रेस ट्रिब्यून के हवाले से सामने आया है कि यह निर्णय सेना के दबाव में लिया गया है। पाकिस्तान को डर है कि भारत आतंकवादी हमले का मुंहतोड़ जवाब दे सकता है, जिससे वहां की सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हो गई हैं।
एयरपोर्ट्स हाई अलर्ट पर:
कराची और लाहौर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सुरक्षा जांच कड़ी कर दी गई है और उड़ानों की गतिविधियों पर गहन निगरानी रखी जा रही है। यात्रियों और कर्मचारियों के मूवमेंट पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपील:
तनाव की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनयिक ने अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने की अपील की है। यह साफ संकेत है कि पाकिस्तान अब वैश्विक समर्थन की उम्मीद में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय हो गया है ताकि भारत की संभावित कार्रवाई को टाला जा सके।
भारत का कड़ा रुख:
भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई सैन्य प्रतिक्रिया की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि “अब सिर्फ वक्त की बात है”। भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर चलकर जवाब दिया जाएगा।
निष्कर्ष:
पाकिस्तान की एयरस्पेस पाबंदी और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की गुहार इस बात का संकेत हैं कि वह भारत की प्रतिक्रिया को लेकर डरा हुआ है। आने वाले दिनों में भारत की ओर से क्या कदम उठाया जाएगा, इस पर पूरे दक्षिण एशिया की नजरें टिकी हुई हैं।
