
- पृष्ठभूमि: उत्तराखंड का रहने वाला अमन सिद्दीकी अपनी हिंदू साथी के साथ प्रेम विवाह कर रहा था, जिसके लिए उन्होंने अपने माता‑पिता की सहमति भी ली थी।
- आरोप: उन्हें धार्मिक परिवर्तन (religious conversion) और धोखाधड़ी (cheating) के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था, जबकि पुलिस का दावा था कि यह उनके व्यक्तिगत मामलों से जुड़ा है।
- जेल में छह महीने: शादी के बाद ज़बर्दस्ती अलग कर देने का केस चलाते हुए, उनकी हिरासत में लगभग छह महीनों तक कारावास रहा।
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: 19 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की गई हाईकोर्ट बेल आदेश को पलटते हुए तुरंत जमानत देने का निर्देश दिया और माना कि अंतर‑धार्मिक विवाह निजी मामला है, राज्य इसे चुनौती नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि जेल की ज़मानत के बावजूद अमन और उनकी पत्नी साथ रह सकते हैं।
- न्यायाधीशों का रुख: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि माता‑पिता की सहमति से की गई बंधनभंग प्रक्रियाओं में राज्य का हस्तक्षेप उचित नहीं होता, और ऐसी निजी जिंदगी के मामलों में सरकार को बाधा नहीं डालनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अमन सिद्दीकी को तुरंत जमानत देते हुए इस बात पर जोर दिया कि अंतर‑धार्मिक विवाह एक निजी मामला है जिसमें राज्य का हस्तक्षेप अनुचित है।