
इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है। 23 जून को इजरायल ने ईरान के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया। इस अभियान में इजरायली वायुसेना के 50 से अधिक फाइटर जेट्स ने हिस्सा लिया और ईरान के 6 प्रमुख सैन्य अड्डों को निशाना बनाया।
हवाई हमले में पश्चिम, पूर्व और मध्य ईरान स्थित एयरबेस पर बमबारी की गई, जिनमें रनवे, भूमिगत हैंगर, ईंधन भरने वाले विमान और मिसाइल भंडारण स्थलों को नष्ट किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले में ईरान के कम से कम 15 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर (F-14, F-5, AH-1 समेत) पूरी तरह तबाह हो गए।
इस हमले को “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नाम दिया गया है, जिसका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े ठिकानों को नष्ट करना था। इसमें IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के कमांड सेंटर, मिसाइल निर्माण इकाइयां, सेंट्रीफ्यूज सुविधाएं और आंतरिक सुरक्षा कार्यालय शामिल हैं।
इसके साथ ही, अमेरिका ने भी 22 जून को “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” के तहत ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों (फोर्दो, नतांज़ और इस्फहान) पर बंकर-बस्टर बम गिराए।
बताया जा रहा है कि इस हमले से पहले मोसाद ने ईरान की वायु सुरक्षा प्रणालियों को ड्रोन से निशाना बनाया, जिससे इजरायली हमलों को रास्ता साफ मिल सका।
अब सवाल यह उठ रहा है कि ईरान इस हमले का जवाब किस तरह देगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान मिसाइल, ड्रोन या अपने क्षेत्रीय गुटों के जरिए जवाबी कार्रवाई कर सकता है। इसके अलावा, होरमुज की खाड़ी को बंद करना और अमेरिका के ठिकानों को निशाना बनाना भी उसकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।