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कर्नाटक में सीएम सिद्धारमैया ने साफ किया

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की बात होती है, तो अंतिम फैसला कांग्रेस के उच्च-कमान (high command) का होगा। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा है कि पार्टी नेतृत्व के निर्णय के बिना उन पर कोई दबाव नहीं है और वे उसी को स्वीकार करेंगे।

यह बयान ऐसे समय में आया है, जब कर्नाटक कांग्रेस सरकार अपने पाँच साल के कार्यकाल के मध्य-बिंदु (mid-term) पर पहुंच चुकी है। इस मोड़ पर “नेतृत्व परिवर्तन” की अटकलें फिर से जोर पकड़ रही हैं, खासकर यह चर्चा कि एक पूर्व सह-सीएम डी. के. शिवकुमार मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं।

सिद्दारमैया ने मीडिया से बातचीत में यह कहा कि “हम वही करेंगे जो हाई-कमान ने तय किया है”। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि पार्टी चाहती है कि वे मुख्यमंत्री बने रहें, तो वे इसी पद पर बने रहना पसंद करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि डी. के. शिवकुमार को भी आलाकमान का जो फैसला मिले, उसे स्वीकार करना चाहिए।

सिद्दारमैया ने यह भी याद दिलाया कि कुछ महीने पहले हाई-कमान ने कैबिनेट पुनर्गठन (cabinet reshuffle) की सहमति दी थी, लेकिन उन्होंने तब यह सुझाव दिया था कि यह तब किया जाए जब सरकार 2.5 साल पूरा कर ले। अब उन्होंने कहा है कि “अब जो भी हाई-कमान कहेगा, उसी के अनुसार हम आगे बढ़ेंगे।”

राज्य में सत्ता-विभाजन की इन चर्चाओं के बीच, पार्टी में अंदरूनी लड़ाइयाँ भी बढ़ती दिख रही हैं। कुछ कांग्रेस विधायकों ने दिल्ली का रुख किया है — यह संकेत माना जा रहा है कि वे शिवकुमार की ओर से हाई-कमान को अपना समर्थन दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस पूरे घटनाक्रम का राजनीतिक विश्लेषण अलग-से मायने रखता है: सिद्दारमैया की “आलाकमान को अंतिम कहने” की पॉलिसी यह दर्शाती है कि वह अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए केंद्रीय नेतृत्व की शक्ति पर भरोसा कर रहे हैं, बजाय राज्य-स्तरीय सेंसरशिप या दबाव-राजनीति के। दूसरी ओर, यह भी स्पष्ट है कि कांग्रेस हाई-कमान कर्नाटक में अपने नेतृत्व विकल्पों पर फिलहाल सक्रिय सोच-विचार कर रही है, और भविष्य में कोई बड़ा बदलाव संभव है।

सम्भवतः, हाई-कमान के फैसले से इसके बाद कैबिनेट फेरबदल हो सकता है, या मुख्यमंत्री पद में बदलाव की दिशा में दांव-पेंच तेज़ हो सकते हैं। लेकिन इस वक्त तक, सिद्धारमैया यह कहने से पीछे नहीं हटे हैं कि “अगर पार्टी चाहे, तो मैं यहीं रहूंगा।”

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