
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल करते हुए 25 वर्षों से फरार आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर को अमेरिका से भारत लाने में कामयाबी पाई है। मोनिका कपूर पर करोड़ों रुपये के धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
CBI की टीम ने अमेरिकी एजेंसियों के सहयोग से मोनिका को अमेरिका से हिरासत में लिया और कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उन्हें मंगलवार रात दिल्ली लाया गया। मोनिका कपूर को अब भारतीय अदालत में पेश किया जाएगा।
क्या है मामला?
मोनिका कपूर पर आरोप है कि उन्होंने अपने दो भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर वर्ष 1998 में सोने के आयात–निर्यात से जुड़े दस्तावेज़ों में फर्जीवाड़ा कर सरकार से ड्यूटी फ्री लाइसेंस हासिल किए। इन फर्जी दस्तावेजों के जरिए उन्होंने अहमदाबाद की एक निजी कंपनी को ये लाइसेंस बेच दिए, जिससे सरकार को लगभग 6.79 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब ₹1.44 करोड़) का नुकसान हुआ।
CBI ने इस मामले में 31 मार्च 2004 को चार्जशीट दाखिल की थी। हालांकि, मोनिका कपूर जांच में शामिल नहीं हुईं और 13 फरवरी 2006 को उन्हें “घोषित अपराधी” (Proclaimed Offender) घोषित कर दिया गया।
अमेरिका में रह रही थी फरार
मोनिका कपूर वर्ष 1999 में भारत से फरार होकर अमेरिका चली गई थीं और वहीं की नागरिकता प्राप्त कर ली थी। उन्होंने प्रत्यर्पण से बचने के लिए कई कानूनी रास्ते अपनाए। हालांकि, वर्ष 2012 में अमेरिकी अदालत ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, लेकिन प्रक्रिया लंबी खिंचती रही।
आखिरकार, मार्च 2025 में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भारत को प्रत्यर्पण की अनुमति दी और CBI की टीम ने उन्हें अमेरिका से हिरासत में लेकर भारत लाया।
CBI की बड़ी कामयाबी
मोनिका कपूर की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण को CBI की एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सफलता के रूप में देखा जा रहा है। यह दर्शाता है कि भारत अब आर्थिक अपराधियों को विदेश में भी कानून के दायरे में लाकर जवाबदेह बनाने के लिए सक्रिय और सक्षम है।
आगे की कार्रवाई
CBI मोनिका कपूर को दिल्ली में संबंधित अदालत में पेश करेगी। इसके बाद न्यायिक हिरासत और मुकदमे की प्रक्रिया शुरू होगी। यदि दोष सिद्ध होता है तो उन्हें आर्थिक अपराध और फर्जीवाड़े के तहत कठोर सजा हो सकती है।