
बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। चुनाव आयोग (ECI) ने चुनावी तैयारियों की औपचारिक समीक्षा शुरू कर दी है। इसी कड़ी में आयोग ने रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाने का फैसला किया है, जिसमें राज्य के सभी शीर्ष अधिकारी, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बैठक में चुनाव की तारीखों, सुरक्षा प्रबंधों और मतदान केंद्रों की तैयारियों की विस्तार से समीक्षा की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, आयोग की टीम पहले ही पटना पहुंच चुकी है और उसने शनिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। राजनीतिक पार्टियों ने आयोग से अपील की है कि बिहार में विधानसभा चुनाव छठ पूजा के बाद कराए जाएं, ताकि त्योहार के समय लोगों को मतदान में किसी तरह की परेशानी न हो। कई दलों ने यह भी सुझाव दिया है कि चुनाव को अधिक से अधिक एक या दो चरणों में पूरा किया जाए, ताकि प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था पर बोझ कम हो।
बैठक में आयोग राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, जिला निर्वाचन अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से रिपोर्ट लेगा। हर जिले में मतदाता सूची की स्थिति, संवेदनशील बूथों की पहचान, ईवीएम और वीवीपैट की उपलब्धता तथा सुरक्षा बलों की तैनाती की योजनाओं पर चर्चा होगी। इसके साथ ही, आचार संहिता लागू होने के बाद प्रशासनिक निष्पक्षता कैसे सुनिश्चित की जाए, इस पर भी दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि इस बार मतदान प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और शांतिपूर्ण बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। बिहार की जनता को भी जल्द ही चुनाव की तारीखों का ऐलान सुनने को मिल सकता है। माना जा रहा है कि आयोग अक्टूबर के मध्य या अंत तक आधिकारिक शेड्यूल जारी कर सकता है।
राजनीतिक रूप से संवेदनशील बिहार में इस बार का चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष — दोनों के बीच मुकाबला कड़ा रहने की उम्मीद है। आयोग की यह बैठक आगामी चुनाव की रूपरेखा तय करने में निर्णायक साबित हो सकती है।



