
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राज्य की सियासत में नया सियासी संदेश देने के लिए रविवार, 17 अगस्त को सासाराम से अपनी ‘वोट अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की। यह यात्रा 16 दिनों तक चलेगी और लगभग 1,300 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। यात्रा का समापन 1 सितंबर को पटना में एक बड़ी जनसभा के साथ होगा। इस अभियान को राहुल गांधी ने मताधिकार और लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा के लिए संघर्ष बताया है।
राहुल गांधी ने यात्रा की शुरुआत में कहा कि आज देश में लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है। उनका आरोप है कि भाजपा और केंद्र सरकार चुनावी प्रक्रिया को कमजोर कर रही है और मतदाता अधिकारों को छीना जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ कांग्रेस या विपक्ष की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह आम जनता का आंदोलन है, ताकि ‘वन पर्सन, वन वोट’ के सिद्धांत को सुरक्षित रखा जा सके।
इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी 20 से अधिक जिलों से होकर गुजरेंगे। हर जिले में पदयात्रा, रोड शो और संवाद कार्यक्रमों का आयोजन होगा। यात्रा का कार्यक्रम इस तरह तय किया गया है कि जनता के बीच अधिक से अधिक संपर्क स्थापित किया जा सके। 20 अगस्त, 25 अगस्त और 31 अगस्त को विश्राम दिवस रखे गए हैं, जिन दिनों पार्टी रणनीतिक बैठकें और समीक्षा करेगी।
कांग्रेस ने इस अभियान को सिर्फ अपनी पार्टी तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि INDIA ब्लॉक की अन्य सहयोगी पार्टियाँ भी इसमें शामिल हैं। राजद, वाम दल और क्षेत्रीय सहयोगी दलों ने राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाने का ऐलान किया है। तेजस्वी यादव पहले दिन की यात्रा में राहुल गांधी के साथ मौजूद रहे। इसका मकसद विपक्षी एकता का मजबूत संदेश देना है।
‘वोट अधिकार यात्रा’ को राहुल गांधी की पूर्व की यात्राओं—‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’—का विस्तार माना जा रहा है। इससे पहले की यात्राओं में उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को उठाया था, जबकि इस बार उनका मुख्य एजेंडा मताधिकार और लोकतंत्र की सुरक्षा है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस यात्रा का लक्ष्य सिर्फ मतदाताओं से जुड़ना ही नहीं, बल्कि यह भी दिखाना है कि विपक्ष जनता की लड़ाई लड़ रहा है। पटना में होने वाली रैली में राहुल गांधी मताधिकार की रक्षा से जुड़े बड़े ऐलान कर सकते हैं।
बिहार की राजनीति में यह यात्रा विपक्षी खेमे को मजबूती देने की कोशिश मानी जा रही है। वहीं, भाजपा इस यात्रा को महज़ चुनावी स्टंट बता रही है और इसे जनता से जुड़ा मुद्दा मानने से इंकार कर रही है।
अब देखना होगा कि बिहार के मतदाता इस अभियान को कितना स्वीकार करते हैं और विधानसभा चुनाव 2025 में इसका सियासी असर किस रूप में सामने आता है।