
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्राथमिक विद्यालयों के विलय के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह आदेश दिया, जिसमें याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों को अस्वीकार कर दिया गया।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि सरकार का यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 21A और मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम का उल्लंघन करता है, क्योंकि इससे बच्चों को उनके नजदीकी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार प्रभावित होता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने इस निर्णय को लागू करने से पहले कोई उचित सर्वेक्षण नहीं किया और न ही संबंधित डेटा प्रस्तुत किया।
इसके विपरीत, राज्य सरकार ने अदालत में प्रस्तुत किया कि इस निर्णय का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों का बेहतर उपयोग करना है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि स्कूलों का “विलय” नहीं किया गया है, बल्कि उन्हें “जोड़ने” का निर्णय लिया गया है, जिससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित नहीं होगी।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया और याचिका को खारिज कर दिया। इस निर्णय के बाद, राज्य सरकार को राहत मिली है, जबकि याचिकाकर्ताओं के लिए यह एक झटका है।