
जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया है। मंगलवार 26 अगस्त 2025 को माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर अर्धकुंवारी के पास अचानक भूस्खलन हुआ, जिससे कई श्रद्धालु मलबे और पत्थरों की चपेट में आ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तेज आवाज के साथ पहाड़ी से बड़े-बड़े पत्थर और मिट्टी का ढेर अचानक ट्रैक पर आ गिरा, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई।
घटना के तुरंत बाद श्राइन बोर्ड, स्थानीय पुलिस, प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को कटरा और जम्मू के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से अर्धकुंवारी से भवन तक का ट्रैक बंद कर दिया है और यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है। निचले ट्रैक पर भी श्रद्धालुओं की आवाजाही को सीमित किया गया है, ताकि किसी बड़ी दुर्घटना से बचा जा सके।
भूस्खलन और बारिश का असर केवल वैष्णो देवी यात्रा तक सीमित नहीं है। जम्मू—श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी यातायात रोक दिया गया है, क्योंकि डोडा और रामबन जिलों में लगातार पहाड़ी खिसकने की घटनाएं हो रही हैं। डोडा जिले में बादल फटने से कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है।
उधर, उधमपुर जिले में तवी नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। प्रशासन ने चेतावनी जारी की है कि नदी किनारे बिल्कुल न जाएं, क्योंकि पानी का स्तर 2014 की विनाशकारी बाढ़ से भी ऊपर पहुंच चुका है। बारिश से कई गांवों में पानी भर गया है और लोगों को निकालने के लिए नावों व ट्रैक्टरों की मदद ली जा रही है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 से 36 घंटों तक जम्मू, कटरा, उधमपुर, रामबन और डोडा जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। इसके साथ ही अचानक बाढ़, भूस्खलन और नदियों में पानी बढ़ने की संभावना भी जताई गई है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हालात की गंभीरता को देखते हुए आपात बैठक बुलाई और सभी जिलाधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित इलाकों को तुरंत फंड जारी किए जाएंगे और एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीमों को तैनात किया जाएगा। मुख्यमंत्री स्वयं स्थिति का जायजा लेने के लिए श्रीनगर से जम्मू रवाना हो गए हैं।
भूस्खलन की इस घटना से वैष्णो देवी यात्रा पर आए हजारों श्रद्धालु प्रभावित हुए हैं। कई लोग अर्धकुंवारी और भवन के बीच फंसे थे, जिन्हें सुरक्षित स्थानों पर लाया गया है। स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि मौसम में सुधार होने तक यात्रा स्थगित रखें और सुरक्षा निर्देशों का पालन करें।
भारी बारिश और आपदाओं की इन घटनाओं ने एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर में आपदा प्रबंधन व्यवस्था की मजबूती और तत्काल प्रतिक्रिया क्षमता की परीक्षा ले ली है। फिलहाल राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन मौसम विभाग के अलर्ट ने प्रशासन और आम जनता दोनों की चिंता बढ़ा दी है।