
उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बाद लगातार घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। जहां बुधवार को इटावा समेत 9 जिलों के SSP और DM को जनशिकायतों के निराकरण में लापरवाही पर मुख्यमंत्री ने फटकार लगाई, वहीं गुरुवार को इटावा पुलिस ने कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके एक सहयोगी पर फर्जीवाड़े की FIR दर्ज की है।
प्रशासनिक पृष्ठभूमि:
बुधवार को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिकायतों का समाधान नहीं होना गंभीर मामला है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 9 जिलों में 70% से अधिक शिकायतें अनसुलझी रहीं, जिसके चलते SSP और DM पर सवाल उठे। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि “कोई भी अधिकारी यदि लापरवाही करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
FIR का मामला:
इसके अगले ही दिन इटावा पुलिस ने कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके साथी के खिलाफ धोखाधड़ी (फर्जीवाड़ा), फर्जी दस्तावेज तैयार करने, और SC/ST एक्ट के कथित दुरुपयोग के आरोप में FIR दर्ज की।
पुलिस के अनुसार, यादव और उनके सहयोगी ने एक अदालत में ऐसे व्यक्ति के नाम से शिकायत दर्ज करवाई जो अस्तित्व में ही नहीं था। उनका उद्देश्य संवेदनशील कानूनी धाराओं का उपयोग कर लाभ प्राप्त करना था। पुलिस ने इस मामले को “गंभीर न्यायिक प्रक्रिया से छेड़छाड़” बताया है।
राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अर्थ:
इस घटनाक्रम को कई जानकार राज्य सरकार की “ज़ीरो टॉलरेंस” नीति से जोड़कर देख रहे हैं। एक ओर जहां मुख्यमंत्री प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने में कोई कोताही नहीं बरत रहे, वहीं दूसरी ओर सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में भी कानूनी उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जा रहा।
आगे की प्रक्रिया:
- इटावा पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है।
- यादव व उनके सहयोगी के खिलाफ IPC की धाराओं के साथ SC/ST अधिनियम की धाराएं लगाई गई हैं।
- यदि आरोप सही साबित होते हैं तो यह मामला न केवल फर्जीवाड़ा बल्कि कानून के दुरुपयोग का नज़ीर बन सकता है।