
दिल्ली के बुराड़ी इलाके में यमुना नदी के किनारे हजारों मरी हुई मछलियाँ पाई गई हैं, जिससे स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों में चिंता की लहर दौड़ गई है। प्रहलाद एनक्लेव क्षेत्र में किसानों ने यमुना किनारे मरी मछलियों का ढेर देखा, जिससे नदी के पास रहने वाले लोग दुर्गंध से परेशान हो गए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हरियाणा से केमिकल युक्त पानी यमुना में छोड़ा गया है, जिसके कारण मछलियों की मौत हुई है। विशेष रूप से, 8 नंबर नहर के जरिए यमुना में गंदा और केमिकल युक्त पानी आता है, जो जल में ऑक्सीजन की कमी और प्रदूषण का कारण बनता है।
पिछले दो वर्षों में यमुना नदी की स्थिति में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जिससे दिल्लीवासियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, यमुना में प्रदूषण स्तर खतरनाक सीमा तक पहुंच चुका है। विशेष रूप से बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है, जो जल में प्रदूषण और ऑर्गेनिक पदार्थों की अधिकता को दर्शाता है। यह वृद्धि साफ तौर पर दर्शाती है कि नदी में औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट का निर्वहन अधिक हो गया है और जल शुद्धिकरण की प्रक्रियाएं पर्याप्त रूप से प्रभावी नहीं हो रही हैं। इस प्रदूषित जल से न केवल जलीय जीवों को खतरा है, बल्कि दिल्ली के निवासियों के लिए भी स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने यमुना की सफाई और संरक्षण के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के लिए एक 5-बिंदु कार्य योजना तैयार की है, जिसमें जल में ऑक्सीजन घोलने के लिए एरिएशन उपकरणों की स्थापना, फ्लोटिंग वेटलैंड्स की स्थापना, और नालों में रासायनिक डोजिंग जैसी पहलें शामिल हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2025 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इसके लिए यमुना क्लीनिंग सेल का गठन किया है।
स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों ने दिल्ली सरकार से यमुना की सफाई और प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की मांग की है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए यमुना नदी को संरक्षित किया जा सके।