लाइव अपडेट
Trending

डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों पर लगाई रोक

समाचार विस्तार:

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक विवादास्पद निर्णय लेते हुए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सभी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। इस कदम का सीधा प्रभाव 6,800 से अधिक विदेशी छात्रों पर पड़ा है, जिनमें एक बड़ी संख्या भारतीय छात्रों की है।

क्यों लिया गया यह निर्णय?

ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी फिलिस्तीन के समर्थन में और इज़राइल के विरोध में बार-बार सार्वजनिक प्रदर्शन कर रही है। विश्वविद्यालय कैंपस में लगातार हो रहे प्रदर्शनों और ट्रंप प्रशासन की नीतियों की अवहेलना के चलते यह सख्त कदम उठाया गया।

क्या हुआ असर?

  • हार्वर्ड को मिलने वाली 2.6 अरब डॉलर की संघीय फंडिंग पहले ही निलंबित की जा चुकी है।
  • अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अन्य संस्थानों में स्थानांतरित होने के लिए कहा गया है।
  • विश्वविद्यालय की वैश्विक छवि और मिशन को नुकसान पहुँचा है।

भारतीय छात्रों और दानदाताओं पर असर:

भारत से हर साल सैकड़ों छात्र हार्वर्ड जैसे शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए जाते हैं। इसके अलावा, कई भारतीय उद्योगपति और परोपकारी लोग अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दान भी करते हैं।

प्रमुख भारतीय दानदाता जिन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालयों को अरबों रुपये दान किए:
  1. रतन टाटा – हार्वर्ड बिजनेस स्कूल सहित कई संस्थानों में शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए योगदान।
  2. नारायण मूर्ति (इंफोसिस फाउंडेशन) – वैश्विक शिक्षा में योगदान के लिए मशहूर।
  3. अज़ीम प्रेमजी – अमेरिका में शिक्षा और सामाजिक बदलाव के लिए कई परियोजनाओं को सहायता दी।
  4. लक्ष्मी मित्तल – हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट की स्थापना में योगदान।
  5. सुनील मित्तल (भारती फाउंडेशन) – शिक्षा और स्कॉलरशिप प्रोग्राम्स में सहायता।

इन सभी भारतीयों ने न केवल विश्वविद्यालयों को आर्थिक सहायता दी है, बल्कि भारत की सकारात्मक छवि को भी मजबूती दी है। ट्रंप के इस फैसले से उनके योगदान और इन छात्रों की शिक्षा यात्रा पर संकट उत्पन्न हो गया है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रतिक्रिया:

हार्वर्ड प्रशासन ने इस निर्णय को “अवैध और समुदाय के खिलाफ” बताया है और कहा है कि वे सभी प्रभावित छात्रों को समर्थन देंगे और कानूनी तरीके से इस फैसले को चुनौती देंगे।


निष्कर्ष:

ट्रंप का यह निर्णय अमेरिका की उच्च शिक्षा प्रणाली, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, और विशेषकर भारत-अमेरिका शैक्षणिक रिश्तों पर गहरा असर डाल सकता है। यह कदम न केवल छात्रों के भविष्य पर असर डालेगा, बल्कि भारत जैसे मित्र देशों के साथ अमेरिका के संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
YouTube
LinkedIn
Share