
13 जून 2025 को इज़राइल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान के 100 से अधिक सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इस हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल मोहम्मद बघेरी, जनरल होसैन सलामी, और परमाणु वैज्ञानिक अली शमखानी की मौत हो गई। हमलों में ईरान के नतांज और इस्फ़हान परमाणु संयंत्रों को भी निशाना बनाया गया। इज़राइल के अनुसार, यह हमला ईरान के बढ़ते परमाणु खतरे को रोकने के लिए किया गया था।
इसके जवाब में, ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III के तहत दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन इज़राइल के तेल अवीव और यरुशलम पर दागे। इन हमलों में तीन इज़राइली नागरिकों की मौत हो गई और 90 से अधिक लोग घायल हुए। तेहरान में भी हमलों के बाद विस्फोटों की आवाजें सुनाई दीं, जिनमें मेहराबाद हवाई अड्डे के पास भी धमाके हुए।
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की जनता से अपील की कि वे मौजूदा शासन के खिलाफ खड़े हों। उन्होंने कहा कि इज़राइल की लड़ाई ईरान की जनता के खिलाफ नहीं, बल्कि तानाशाही शासन के खिलाफ है। इसके जवाब में, ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने चेतावनी दी कि इज़राइल के लिए “जहन्नुम तैयार है” और उन्होंने हमलों का बदला लेने की धमकी दी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस संघर्ष को लेकर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए समाधान खोजने की अपील की है। अमेरिका ने इज़राइल के हमलों में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे “उत्कृष्ट” कदम बताया है।
यह संघर्ष मध्य पूर्व में एक नए युद्ध की संभावना को जन्म दे रहा है, और वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।