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जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में आग लगने के बाद कथित रूप से जले हुए नोटों की बरामदगी

दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर 14 मार्च 2025 को आग लगने के बाद आरोप लगा कि स्टोर रूम में बड़ी मात्रा में जले हुए नोट पाए गए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन न्यायाधीशों की जांच समिति ने कुल 55 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 10 ने स्पष्ट तौर पर जले हुए रुपये दिखाई देने की बात कही ।
इन्होंने बताया:
- दिल्ली अग्निशमन विभाग के अधिकारी द्वारा वीडियो में “गांधी जल रहे हैं, भाई” आवाज सुनाई दी, जो साफ इशारा करता है कि ₹500 के नोटों में आग लगी थी ।
- बीच की रात स्टोर रूम से आंशिक रूप से जले नोट निकलते हुए दिखे और उन्हें सुबह हटाया गया ।
- स्टोर रूम में प्रवेश केवल वर्मा परिवार, घरेलू कर्मचारी और CPWD कर्मियों को था; कोई बाहरी व्यक्ति नहीं आ सकता था ।
जस्टिस वर्मा ने आरोपों का खंडन किया:
- उन्होंने कहा कि न तो उन्होंने और न उनके परिवार ने कभी उस रूम में नकदी रखी ।
- वकीलों और पुलिस को भी कोई नकदी नहीं दिखाई गई और यह मामला उनके खिलाफ साजिश बताई ।
बाद की कार्रवाई:
- सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया और जस्टिस वर्मा को न्यायिक कार्य से दूर रखा गया ।
- सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च 2025 को उन्हें उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद हाई कोर्ट, स्थानांतरित करने का निर्णय लिया; लेकिन सरकार की मंज़ूरी बाकी है ।
- अभी यह मामला आंतरिक जांच प्रक्रिया में है और संभव है कि संसदीय रूप में महाभियोग की कार्यवाही शुरू हो ।
संक्षेप में, यह मामला उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की विश्वसनीयता और न्यायपालिका में नैतिकता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रहा है।