पाकिस्तान ने यूएनएससी अध्यक्षता संभालते ही कश्मीर विवाद के समाधान की दोबारा मांग की

पाकिस्तान ने जुलाई 2025 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की घूर्णन अध्यक्षता संभालते ही कश्मीर विवाद के समाधान की मांग फिर से उठा दी है। न्यूयॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि अब समय आ गया है कि यूएनएससी अपने पुराने प्रस्तावों को लागू करे और जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर कार्रवाई करे।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा न सिर्फ दक्षिण एशिया बल्कि पूरी दुनिया की शांति और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तान का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक कश्मीर मुद्दे का समाधान किया जाना चाहिए और वहां के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार मिलना चाहिए।
असीम इफ्तिखार ने प्रेस वार्ता के दौरान यह भी बताया कि पाकिस्तान यूएनएससी की अध्यक्षता का उपयोग वैश्विक और क्षेत्रीय शांति के लिए करेगा लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कश्मीर मसले को वो फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाना चाहते हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भारत ने कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है और वहां की स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है।
पाकिस्तान इस मंच के ज़रिए एक बार फिर यह संदेश देना चाहता है कि कश्मीर का मुद्दा सिर्फ भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय विवाद नहीं है, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय विवाद है जिसे यूएनएससी की निगरानी में हल किया जाना चाहिए।
हालांकि भारत पहले ही कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। भारत संयुक्त राष्ट्र या किसी तीसरे पक्ष की इसमें भूमिका को सिरे से खारिज करता रहा है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान पहले अपने कब्जे वाले कश्मीर से आतंकवाद और अवैध कब्जा खत्म करे, तभी किसी तरह की बातचीत संभव है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की इस मांग से यूएनएससी में कोई ठोस हल निकलना मुश्किल है क्योंकि परिषद के स्थायी सदस्य भारत के रुख को लेकर स्पष्ट हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में लगातार तनाव बना हुआ है, और इस तरह की बयानबाज़ी से रिश्तों में और खटास आ सकती है।