
भारतीय जनता पार्टी (BJP) में संगठनात्मक बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। चर्चा है कि जल्द ही पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है। मौजूदा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल बढ़ाया गया था, लेकिन अब सवाल उठ रहा है—बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन होगा? और इस फैसले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की भूमिका कितनी अहम है?
बीजेपी अध्यक्ष का पद केवल संगठन संचालन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति चुनावी रणनीति, कैडर की दिशा और पार्टी की विचारधारा को जमीन पर उतारने का भी जिम्मेदार होता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस पद की ताकत कई बार प्रधानमंत्री और गृहमंत्री जैसी संवैधानिक भूमिकाओं के समकक्ष या उससे अधिक भी मानी जाती है, खासकर जब संगठनात्मक शक्ति की बात हो।
RSS की भूमिका:
RSS और BJP का संबंध वैचारिक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर गहरा है। पार्टी अध्यक्ष के चयन में संघ की सहमति या परोक्ष समर्थन को बहुत महत्व दिया जाता है। यह माना जाता है कि संघ द्वारा समर्थित व्यक्ति ही अंततः पार्टी की कमान संभालता है।
संभावित नाम:
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, जैसे कि भूपेंद्र यादव, विनोद तावड़े, और कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेताओं के नाम चर्चा में हैं। हालांकि अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और संघ के शीर्ष नेतृत्व की आपसी सहमति से ही होगा।
क्यों अहम है यह बदलाव:
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के लिए यह समय आत्ममंथन और संगठन की मजबूती का है। ऐसे में एक नया अध्यक्ष पार्टी को नई ऊर्जा दे सकता है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों और 2029 की रणनीति के मद्देनज़र।